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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
5 तत्वों पर आधारित मंदिर तमिलनाडु के तिरुवन्नमलाई में अरुणाचल पर्वत पर स्थित अरुणाचलेश्वर मंदिर जीवन के 5 बुनियादी तत्वों पृथ्वी, अग्रि, जल, वायु और आकाश का प्रतिनिधित्व करता है।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
5 तत्वों पर आधारित मंदिर यह सबसे पवित्र शैव मंदिरों में से एक है। शिव पुराण के अनुसार 4 सबसे पवित्र स्थान हैं जहां कोई मुक्ति या मोक्ष प्राप्त कर सकता है, उनमें से यह मंदिर एक है।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
शिव जी के ‘कैलाश पर्वत’ जैसा मंदिर भारत के मंदिरों की वास्तुकला कुछ ऐसी है कि आज भी नवीन तकनीक और विज्ञान की सुविधाओं के बाद भी इस प्रकार की वास्तुकला को हकीकत में उतार पाना बेहद मुश्किल है।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
शिव जी के ‘कैलाश पर्वत’ जैसा मंदिर ऐसा ही एक मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद की एलोरा गुफाओं में स्थित है। एलोरा के कैलाश मंदिर को बनाने में मात्र 18 वर्षों का समय लगा।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
शिव जी के ‘कैलाश पर्वत’ जैसा मंदिर मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम ने सन् 756 से 773 के दौरान किया। शिव जी का निवास माने जाने वाले कैलाश पर्वत के आकार जैसे मंदिर का निर्माण किया गया है।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
‘गुप्त काल’ में बना प्राचीन मंदिर मुंडेश्वरी भवानी मंदिर बिहार के कैमूर जिले की पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित है जिसकी ऊंचाई लगभग 600 फुट है।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
‘गुप्त काल’ में बना प्राचीन मंदिर पुरातत्वादियों के अनुसार यहां से प्राप्त शिलालेख 389 ईस्वी के बीच का है जो इसकी पुरानता को दर्शाता है। मंदिर की नक्काशी और मूर्तियां गुप्त कालीन वास्तुशिल्प में बनी हैं।
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गुप्त काल में बनाया गया था मां का ये प्राचीन मंदिर, क्या आप जानते हैं?
‘गुप्त काल’ में बना प्राचीन मंदिर यह पत्थरों से बना अष्टकोणीय मंदिर है जिसके पूर्वी खंड में देवी मुंडेश्वरी देवी की प्राचीन मूर्ति मुख्य आकर्षण का केंद्र है। मां वाराही रूप में विराजमान हैं। यहां बलि में बकरा तो चढ़ाया जाता है परन्तु उसका वध नहीं किया जाता।