मध्यमहेश्वर मंदिर में होती है शिव नाभि की पूजा, जानें क्या है इस धार्मिक स्थल का रहस्य
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    मध्यमहेश्वर मंदिर में होती है शिव नाभि की पूजा, जानें क्या है इस धार्मिक स्थल का रहस्य

    खबरों के अनुसार पंच केदार में प्रसिद्ध द्वितीय केदार कहलाने वाले मध्यमहेश्वर मंदिर के कपाट वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी 24 मई को मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए हैं।
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    दैनिक मान्यताओं के अनुसार मध्य महेश्वर में भगवान शिव की नाभि की पूजा की जाती है। बता दें यह उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र के रुद्रप्रयाग जिले मैं समुद्र तल से 3289 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
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    यह खूबसूरत व रमणीय स्थान चारों ओर से हिमालय पहाड़ों के साथ घिरा हुआ है।
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    मध्यमहेश्वर मंदिर से लगभग 3-4 कि.मी की दूरी पर एक अन्य मंदिर है जिसे बूढ़ा मध्यमेश्वर कहा जाता है।
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    शिव पुराण के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को जब गुरु हत्या, गोत्र हत्या, और अपने ही भाइयों की हत्या का दुख सताने लगा तो वे इसका पश्चाताप करने के लिए श्री कृष्ण भगवान के पास गए।
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    श्री कृष्ण ने उन्हें वेदव्यास जी के पास भेजा तो वेदव्यास जी ने उन्हें भगवान शिव की तपस्या करने के लिए कहा।
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    Captionजिसके बाद पांडवों ने उनकी तपस्या शुरू कर दी।