Mahashivratri - महााशिवरात्रि के शुभ अवसर पर घर बैठे करें 12 ज्योर्तिंलिंगों के दर्शन
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    Mahashivratri - महााशिवरात्रि के शुभ अवसर पर घर बैठे करें 12 ज्योर्तिंलिंगों के दर्शन

    कलियुग में सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं भगवान शिव। शायद ही कोई नगर, ग्राम, मोहल्ला हो जहां शिवमंदिर न हो और शायद ही कोई हिंदू घर हो जहां भगवान शिव जी का नाम न लिया जाता हो।
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    भगवान शिव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है। भगवान श्रीराम ने भी रामेश्वरम नाम के शिवलिंग की आराधना करके लंका पर आक्रमण किया था।
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    शिवजी के बारह ज्योर्तिंलिंगों (द्वादश ज्योर्तिंलिंग) के दर्शन परमात्मा की प्राप्ति कराने में सहायक हैं। ऐसा माना जाता है कि फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही शिवलिंग का प्रादुर्भाव हुआ था। अत: इस दिन व्रत एवं शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व है। इसमें इन बारह ज्योर्तिंलिंगों की महिमा तो अपरम्पार है।
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    शिवरात्रि पर्व पर इन मंदिरों में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की लम्बी कतार लगी रहती है। शिवजी तो मात्र जलधारा से ही प्रसन्न होकर वर देने वाले देवता हैं। जलाभिषेक के लिए शिवरात्रि सर्वाधिक पुण्यदायी पर्व है।
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    सोमनाथ : यह स्थान गुजरात में है। कहते हैं यहां चंद्रमा ने शिवजी की आराधना की थी।
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    मल्लिकार्जुन : यह तमिलनाडु प्रांत में है। यहां कार्तिकेय जी ने तपस्या की थी।
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    महाकालेश्वर : यह उज्जैन (म.प्र.) में शिप्रा के तट पर स्थित है। यहां देवताओं ने शिव जी की आराधना की थी।
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    ओंकारेश्वर : यह मालवा में नर्मदा की धारा के बीच मान्धाता पर्वत पर है। कहते हैं विन्ध्य के दुख दूर करने को भगवान आशुतोष यहां आए थे।