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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
12वीं शताब्दी में लोहरा वंश के राजा जयसिंह ने पहलगाम के गांव ममलका गांव में ममलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया था। उन्होंने मंदिर की छत पर सोने का कलश भी स्थापित करवाया था, जो इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है।
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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
इस मंदिर में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है, जिसके पास से एक प्राकृतिक झरना बहता है। झरने का पवित्र जल एक कुंड में एकत्रित होता रहता है, जिसे श्रद्धालु पवित्र मानते हैं।
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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
मंदिर में शिवलिंग के अलावा दो खूबसूरत नंदी की मूर्तियां भी हैं, जो मंदिर की शोभा बढ़ाती हैं। ममलेश्वर मंदिर को मम्मल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
मम का अर्थ है मत और मल का अर्थ है जाना, यानी यहां मत जाओ। इस नाम के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है, जो इस मंदिर को और भी रोचक बना देती है।
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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
शिवपुराण के अनुसार, एक बार माता पार्वती स्नान करने से पहले उबटन का लेप कर रही थीं। स्नान के बाद जब उन्होंने उबटन उतारा, तो उस हल्दी से एक पुतला बना लिया।
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Mamleshwar Temple: पहलगाम का ममलेश्वर मंदिर, जहां माता पार्वती ने गणेश जी को सौंपा था द्वारपाल का दायित्व
फिर उन्होंने अपनी शक्तियों से उस पुतले में प्राण फूंक दिए। इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ। स्नान के लिए जाते समय माता पार्वती ने गणेश जी को द्वारपाल नियुक्त कर दिया और सख्त हिदायत दी कि कोई भी भीतर न आने पाए।