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Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी
मोरेश्वर' भगवान गणेश के अष्टविनायक मंदिरों में से एक है। ये मंदिर महाराष्ट्र के मोरगांव में करहा नदी के किनारे बसा है। मोरगांव का मयूरेश्वर मंदिर अष्टविनायक के आठ प्रमुख मंदिरों में से एक है।
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Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी
कहा जाता है कि यहां पहले गणपति जी के मूर्ति छोटी थी, लेकिन अगर अब देखे तो ये मूर्ति बड़ी दिखाई देती है।
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Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी
इस अवतार में भगवान का वाहन मोर था इसलिए इस मूर्ति को मयूरेश्वर के नाम से जाना जाता है। इस जगह का नाम मोरगांव इसलिए पड़ा क्योंकि एक समय पर ये क्षेत्र मोर के जैसा आकार लिए हुए था।
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Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी
इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि एक समय पर इस क्षेत्र में बडी संख्या में मोर पाए जाते थे। इसी कारण से ये जगह मोरगांव के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
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Mayureshwar Ganesh Mandir: क्यों है मयूरेश्वर गणपति की मूर्ति मोर पर सवार? जानिए अद्भुत कहानी
इस मंदिर के चारों कोनों में मीनारें और लंबे पत्थरों की दीवारें हैं। मंदिर के चार द्वार हैं जिन्हें चारों युग, सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलियुग का प्रतीक माना जाता है।
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पूर्वी द्वार पर राम और सीता की छवि जो कि धर्म, कर्तव्य की प्रतीक मानी जाती है, दक्षिणी द्वार पर शिव-पार्वती की मूर्ति जो कि धन और प्रसिद्धि की प्रतीक मानी जाती है।