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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
भारत मंदिरों का देश है। हमारे देश में ऐसे कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो किसी दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास हजारों साल पुराना है।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
समुद्र तट पर स्थित होने के कारण इस मंदिर के आसपास का नजारा बेहद ही खूबसूरत लगता है। हम बात कर रहे हैं मुरुदेश्वर मंदिर की, जो भगवान शिव को समर्पित है। मुरुदेश्वर भगवान शिव का ही एक नाम है।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
इस मंदिर की सबसे खास बात है कि इसके परिसर में भगवान शिव की एक विशाल मूर्ति स्थापित है, जिसे दुनिया की दूसरी सबसे विशाल और ऊंची शिव प्रतिमा (मूर्ति) माना जाता है।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण जब अमरता का वरदान पाने के लिए भगवान शिव की तपस्या कर रहा था, तब शिवजी ने उसकी तपस्या से खुश होकर उसे एक शिवलिंग दिया, जिसे आत्मलिंग कहा जाता है।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
भगवान शिव के कहे अनुसार रावण शिवलिंग लेकर लंका की ओर जा रहा था लेकिन बीच रास्ते में ही भगवान गणेश ने चालाकी से रावण को लंका भेज दिया और लिंग को गोकर्ण में जमीन पर रख दिया, जिससे वह वहीं पर स्थापित हो गया।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
मुरुदेश्वर मंदिर में विशाल शिव मूर्ति भगवान शिव की यहां स्थापित विशाल मूर्ति की ऊंचाई करीब 123 फुट है। इसे इस तरीके से बनाया गया है कि दिनभर सूर्य की किरणें इस पर पड़ती रहती हैं।
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Murudeshwar Temple: तीन ओर से अरब सागर से घिरा है मुरुदेश्वर मंदिर, शिव पुराण में भी है वर्णन
इसे बनाने में करीब दो साल का वक्त लगा था और करीब पांच करोड़ रुपए की लागत आई थी। इस खास मंदिर को देखने के लिए देश ही नहीं, बल्कि विदेशों से भी बड़ी संख्या में लोग आते हैं।