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Nagchandreshwar Mandir: महाकालेश्वर की छत पर छिपा है नागों का अद्भुत घर, जो खुलता है सिर्फ नागपंचमी पर
उज्जैन में एक ऐसा नाग मंदिर है जो वर्ष में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर खुलता है। महाकालेश्वर मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित इस मंदिर को नागचंद्रेश्वर के नाम से जाना जाता है।
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Nagchandreshwar Mandir: महाकालेश्वर की छत पर छिपा है नागों का अद्भुत घर, जो खुलता है सिर्फ नागपंचमी पर
मंदिर में भगवान शिव-पार्वती की जो प्रतिमा स्थापित है, वह देश में और कहीं देखने को नहीं मिलती। यह 11वीं शताब्दी की बताई जाती है। साथ ही कहा जाता है कि यह प्रतिमा नेपाल से भारत लाई गई थी।
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Nagchandreshwar Mandir: महाकालेश्वर की छत पर छिपा है नागों का अद्भुत घर, जो खुलता है सिर्फ नागपंचमी पर
विष्णु भगवान को ही सर्प शैया पर विराजमान देखा होगा लेकिन यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान शिव सर्प शैया पर विराजमान हैं।
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Nagchandreshwar Mandir: महाकालेश्वर की छत पर छिपा है नागों का अद्भुत घर, जो खुलता है सिर्फ नागपंचमी पर
इस अद्भुत प्रतिमा में नाग देवता ने अपने फन फैलाए हुए हैं और उस पर भगवान शिव, माता पार्वती समेत विराजमान हैं। कहा जाता है कि नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने से राहू-केतु और कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव में कमी आती है इसलिए नागपंचमी पर यहां लाखों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं।
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Nagchandreshwar Mandir: महाकालेश्वर की छत पर छिपा है नागों का अद्भुत घर, जो खुलता है सिर्फ नागपंचमी पर
मान्यता है कि प्राचीन समय में यह क्षेत्र महाकाल वन के नाम से प्रसिद्ध था। यहां कर्कोटक नामक एक नाग ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी।