इस मंदिर में हलवे का नहीं माता तो लगता है ये अद्भुत भोग!
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    इस मंदिर में हलवे का नहीं माता तो लगता है ये अद्भुत भोग!

    हिंदू धर्म में देवताओं के साथ देवियों की पूजा भी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार सभी देवियों में से देवी सरस्वती, लक्ष्मी और मां काली इन तीनों देवियों को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना गया है। आज की जानकारी में हम आपको बताएंगे।
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    इस मंदिर में हलवे का नहीं माता तो लगता है ये अद्भुत भोग!

    ऐसे पौराणिक मां काली के मंदिर के बारे में। जो कि पंजाब स्थित पटियाला शहर में हैं। बात करेंगे इस मंदिर से जुड़े इतिहास की और कुछ अनसुने रहस्यों की।
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    इस मंदिर में हलवे का नहीं माता तो लगता है ये अद्भुत भोग!

    पटियाला का यह मंदिर तकरीबन 200 साल पुराना है। मान्यता है कि इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र ही भक्तों के दुखों का नाश होना शुरू हो जाता है।
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    यहां केवल पटियाला या पंजाब से लोग ही नहीं आते बल्कि देश-विदेश से भी यहां भक्तजन माता के दर्शन करने को आते हैं।
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    इसके अलावा भक्तों का कहना है कि सच्चे दिल से प्रार्थना करने से यहां साक्षात देवी भगवती के दर्शन होते हैं।
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    गौर करने वाली ये बात है कि यहां स्थित मां काली की मूर्ति कोलकाता से लाई गई है।
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    कहा जाता है कि इस मंदिर का नींव पत्थर पटियाला के 8वें महाराजा भूपिंदर सिंह ने रखा था लेकिन, इसका पूर्ण रूप से निर्माण महाराजा कर्म सिंह ने करवाया था।
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    इस मंदिर परिसर की एक और विशेषता है कि इस मंदिर के बीच में काली मंदिर से भी पुराना राज राजेश्वरी मंदिर भी स्थित है।