Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह पहली बार आने वाले लोगों को लिए आश्चर्य से कम नहीं है। यह मेकॉन्ग, टोन्ले सैप और बास्सक नदियों के मिलन बिंदु पर स्थित है।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    यहां का हर एक नजारा बहुत ही अद्भुत है। यहां की सजीव संस्कृति, प्राकृतिक नजारे और भरपूर ऊर्जा देखने को मिलती है। यहां की हर एक जगह के पीछे अलग-अलग तरह के इतिहास छुपे हुए हैं।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    इस शहर में आप बौद्ध मंदिर और फ्रेंच औपनिवेशिक काल की वास्तुकला के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही इस शहर की वाइब्रेंट नाइट लाइफ देखने लायक होती है।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    नोम पेन्ह का रॉयल पैलेस कंबोडिया भव्यता और सादगी के मिश्रण की एक अनोखी मिसाल है। कंबोडिया का रॉयल पैलेस यहां के राजा का निवास स्थान है। साथ ही इसे पारंपरिक खमेर वास्तुकला का बेहद खास मिसाल माना जाता है।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    पैलेस ग्राउंड की बहुत ही अच्छे तरीके से देखभाल की जाती है। वॉट प्रेह मोराकोट के नाम से जाने जाना वाला सिल्वर पगोड़ा भी पैलेस ग्राउंड में ही स्थित है।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    इस सिल्वर पगोड़ा की फर्श 5000 से भी ज्यादा टाइलों से बनी हुई है। जिसका कुल वजन पांच टन से भी अधिक है। यहां पर आने वाले पर्यटक पगोड़ा के अंदर बुद्ध की आदमकद स्वर्ण निर्मित और हीरों से जड़ित प्रतिमा को देखकर बहुत ही खुश होते हैं।
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    Phnom Penh Royal Palace in Cambodia: चांदी की 5000 टाइल्स से बनी है कंबोडिया में स्थित पगोड़ा की फर्श

    वाट नोम मंदिर नोम पेन्ह का एक बेहद रमणीय स्थल है। यह एक शांत और सुंदर पहाड़ी पर स्थित है। इसी से ही नोम पन्हे का नाम पड़ा है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 1372 को हुआ था