Pitru Paksha: इस नदी में स्नान करने से 21 पीढ़ी के पितृ तृप्त और मुक्त हो ब्रह्मलोक को प्राप्त करते हैं
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    Pitru Paksha: इस नदी में स्नान करने से 21 पीढ़ी के पितृ तृप्त और मुक्त हो ब्रह्मलोक को प्राप्त करते हैं

    त्रेता युग की बात है। प्रसिद्ध गया तीर्थ पर भगवान राम अपने पिता राजा दशरथ का पिंडदान करने आए थे। जब राम-लक्ष्मण पिंड सामग्री लाने गए तो विलंब होने पर महाराज दशरथ ने छायारूप में उपस्थित हो सीता जी से शुभ मुहूर्त में पिंड की याचना और भोजन की मांग की।
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    पिंड सामग्री के अभाव में दशरथ के कहने पर सीता जी ने महानदी सहित अन्य की उपस्थिति में रेत का पिंड बना कर दशरथ को दान किया था।
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    किंवदंती है कि पिंड दान ग्रहण करने के लिए स्वयं राजा दशरथ का हाथ फल्गु नदी से बाहर निकला था। जब राम और लक्ष्मण पिंडदान संबंधी सामग्री लेकर वापस लौटे तब सीता जी ने पिंडदान करने की बात बताई लेकिन सीता द्वारा पिंडदान की बात का श्री राम को विश्वास नहीं हुआ, वह बेहद चिंतित एवं नाराज हुए।
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    सीता जी ने गवाही देने के लिए फल्गु नदी, बरगद के पेड़, अग्रि, गाय, तुलसी और गया ब्राह्मण से सच बोलने को कहा। तब फल्गु ने खुद को गंगा जैसी पापहारिणी नदी बनने के लोभ में झूठी गवाही दी
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    जिससे नाराज होकर सीता जी ने फल्गु को श्राप दिया था कि वह गया नगर में अपना पानी खो देगी। सीता जी के श्राप का असर आज भी देखने को मिलता है।
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    फल्गु नदी रेत के नीचे बहती है इसीलिए फल्गु को अंत: सलिला अर्थात सतह से नीचे बहने वाली नदी कह जाता है। फल्गु नदी छोटा नागपुर पठार के उत्तरी भाग से निकलती है।