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Pitru Paksha 2019: यहां रात बिताने के बाद होता है 7 कुलों का उद्धार
‘गया’ बिहार राज्य में स्थित एक प्राचीन व पौराणिक तीर्थस्थल है। सुर-सरिता गंगा नदी के तट पर स्थित यह तीर्थ पितरों के लिए तर्पण व मृत आत्माओं की शांति के लिए विख्यात है।
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Pitru Paksha 2019: यहां रात बिताने के बाद होता है 7 कुलों का उद्धार
गया तीर्थ में मृतकों की आत्मशांति के लिए पिंडदान का विशेष महत्त्व है। शास्त्रों में कहा गया है प्रयागराज (इलाहाबाद) में मुंडन करना व गया जी में पितरों के लिए पिंडदान करने का विशेष महत्व है।
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भगवान विष्णु प्राणी मात्र को मुक्ति देने के लिए ‘गदाध’ के रूप में गया में निवास करते हैं। ग्यासुर की विशुद्ध देह में ब्रह्माजी, जनार्दन शिव तथा प्रपितामह स्थित हैं।
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भगवान विष्णु ने यहां की मर्यादा स्थापित करते हुए कहा कि इसकी देह पुण्य क्षेत्र के रूप में हो गई। यहां जो भक्ति, यज्ञ, श्राद्ध, पिंडदान तथा स्नानादि करेगा, वह भव बंधन से मुक्त होकर स्वर्गलोक और ब्रह्मलोक में जाएगा।
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Pitru Paksha 2019: यहां रात बिताने के बाद होता है 7 कुलों का उद्धार
कर्म पुराण के चौंतीसवें अध्याय में गया तीर्थ की महिमा का वर्णन करते हुए लिखा है कि गया नामक परम तीर्थ पितरों को अत्यंत प्रिय है।
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जो मनुष्य एक बार भी गया जाकर पिंडदान करता है, उसके द्वारा तारे गए पितर परम गति को प्राप्त करते हैं।
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गया क्षेत्र में ऐसा कोई स्थान नहीं, जहां तीर्थ नहीं हैं। पांच कोस के क्षेत्र में स्थित गया में कहीं भी पिंडदान कराने वाला व्यक्ति स्वयं अक्षय फल प्राप्त कर पितृगणों को ब्रह्मलोक पहुंचाने का अधिकारी बनता है।
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Pitru Paksha 2019: यहां रात बिताने के बाद होता है 7 कुलों का उद्धार
जो व्यक्ति गया तीर्थ जाकर वहां रात्रिवास करते हैं, उनके 7 कुलों का उद्धार हो जाता है। गया में मुंडपृष्ठ, अरविंद पर्वत तथा क्रोंचपाद नामक तीर्थों के दर्शन करके व्यक्ति समस्त पापों से मुक्त हो जाता है।
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मकर संक्रांति, चंद्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण के अवसर पर गया जाकर पिंडदान करना तीनों लोकों में दुर्लभ है।
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हर प्राणी को चाहिए की वे अपने पितरों का यहां आकर उद्धार करवाए और स्वयं के साथ-साथ पितरों को भी पुण्य का भागी बनाए।