कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    श्रावण मास में हर कोई शिव शंकर की उपासना करता है। कोई इसके लिए अपने घर का मंदिर, कोई शिवालय तो कोई देश में स्थित इनके ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर उनकी विधि वत पूजा करके इनकी कृपा प्राप्त करता है।
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    दरअसल हम बात करें रहे हैं झारखंड के देवघर में स्थित बैद्यनाथ धाम की, जिसे लेकर मान्यताएं प्रचलित हैं कि यहां आने वाले सभी भक्तों की हर तरह की मनोकामना पूरी होती है। जिस कारण इस शिवलिंग को 'कामना लिंग' भी कहा जाता है।
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    इससे संबंधित प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार ये शिवलिंग रावण की भक्ति का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है बैद्यनाथ देश का एक ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जिसे शक्तिपीठ भी माना जाता है।
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    असल में ऐसी किंवदंति है कि यहां देवी सती का हृदय गिरा था, अतः कहा जाता है कि यहां बाबा माता सती के ह्दय में विराजमान हैं इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को हृदयापीठ भी कहा जाता है।
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    मंदिर को लेकर एक रहस्य ऐसा है जो कई वर्षों से आज भी यहां बरकरार है। इस रहस्य के अनुसार यहां भक्त मुरादें लेकर आते हैं लेकिन शिवलिंग को स्पर्श करते ही अपनी मनोकामना भूल जाते हैं।
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    कहां है रावणेश्वर तीर्थ, जानिए इससे जुड़ा रहस्य

    शिवधाम में त्रिशूल लगा होता है लेकिन बैद्यनाथ मंदिर में पंचशूल लगा है। कहते हैं ये पंचशूल सुरक्षा कवच है। मान्यता है कि इसके यहां रहते हुए कभी मंदिर पर कोई आपदा नहीं आ सकती। बैद्यनाथ मंदिर का ये पंचशूल मानव शरीर के पांच विकार काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह को नाश करने का प्रतीक है।