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Religious places in Rajgir: आईए करें पावन स्थल ‘राजगृह’ की यात्रा
ब्रह्मकुंड से लगभग 4 मील दक्षिण बाणगंगा नामक नदी है, जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहीं पास में रंगभूमि है। ऐसी मान्यता है कि भीमसेन और जरासंध का युद्ध यहीं हुआ था और यहीं भगवान श्रीकृष्ण की उपस्थिति में भीमसेन ने उसके शरीर को चीर डाला था।
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Religious places in Rajgir: आईए करें पावन स्थल ‘राजगृह’ की यात्रा
वैभार पर्वत पर प्राची सरस्वती के पास बहुत से कुंड हैं। यहां का मुख्य कुंड ब्रह्मकुंड है। ब्रह्मकुंड के नैऋत्य कोण में हंसतीर्थ है। इसके ऊपर कई देव मूर्तियां हैं।
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ब्रह्मकुंड से 200 गज की दूरी पर केदार-कुंड है, जिसे जियतकुंड भी कहा जाता है। वहां से 200 गज पर विष्णुपद है, उसके पास ही संध्या देवी हैं। यहां से 2 मील पश्चिम पर्वत पर सोमनाथ मंदिर है।
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शहर के मध्य में श्री जैन श्वेतांबर भंडार तीर्थ धर्मशाला प्रांगण में स्थित जैन धर्म के 20वें तीर्थंकर भगवान श्री मुनि सुब्रत नाथ स्वामी जी महाराज का यह भव्य मंदिर देश-दुनिया के जैन धर्मावलंबियों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है।
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ब्रह्मकुंड से नीचे सरस्वती से 200 गज पूर्व 5 कुंड हैं-सीताकुंड, सूर्यकुंड, चंद्रकुंड, गणेशकुंड और रामकुंड। इनमें से रामकुंड में 2 झरने हैं-एक शीतल, दूसरा उष्ण। शेष चारों कुंडों में गर्म झरने का जल है।
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सरस्वती-गोदावरी संगम से पश्चिम, ब्रह्मकुंड से लगभग 1 मील दूर वैभार पर्वत के दक्षिण में सोना भंडार नामक गुफा है। यह स्थान बौद्ध तीर्थ है, यहां तथागत की उपस्थिति में बौद्धों की प्रथम सभा हुई थी।