Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    हमारे देश में ऐसे कई मंदिर व धार्मिक स्थल हैं जिनकी स्थापना स्वयं कई देवी-देवताओं ने की है। यही कारण है कि ये मंदिर देश में ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई कोनों में प्रचलित है।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    श्रावण के इस खास मौके पर हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, जिसकी स्थापना स्वयं वायु देव ने की थी।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के नैम‍िषारण्‍य में स्थित प्राचीन शिव मंदिर की। बताया जाता हैं इस प्राचीन मंदिर में एक अद्भुत मथानी स्थित है, जिससे जुड़ी मान्यताएं ये हैं कि जो भी इस मथानी तो 1 बार छू लेता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    दरअसल उत्तर प्रदेश के नैमिषराय में स्थित इस मंदिर को देवदेश्वर धाम के नाम जाना जाता है। लोक मत है कि यहां परिसर में स्थापित मंदिर द्वापर युग का है।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    इतना ही नहीं इस मंदिर की एक खास बात ये भी है कि यहां देवी सीता की मथानी भी रखी हुई है। जिसे छू लेने वाला जातक कभी भी मंदिर से खाली हाथ नहीं गया।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    कहने का भाव है कि इस छू लेने मात्र से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। मगर इस मंदिर का और मथानी का मनोकामनाओं की पूर्ति का क्या संबंध है?
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    कहा जाता है इस मंदिर का जिक्र वायुपुराण में पढ़ने-सुनने को मिलता है, जिससे से इस मंदिर की प्राचीनता का अनुमान लगाया जा सकता है।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    तो वहीं मंदिर को लेकर एक मान्यता प्रचलित है कि अपने 14 वर्ष के वनवास को दौरान श्री राम और उनकी पत्नी देवी सीता ने यहां शिवलिंग की पीजा की थी।
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    Sawan 2020: वायु देव के हाथों हुई थी इस शिव मंदिर की स्थापना

    जैसा कि हमने आपको उपरोक्त बताया कि इस मंदिर को खुद वायु देव ने स्थापित किया था। यहां आने वाले भक्त भगवान शिव जी के लिंग रूप यानि शिवलिंग की पूजा व अभिषेक करते हैं। साथ ही  देवी सीता की मथानी छूकर अपनी तमाम तरह की मनोकामनाएं पूरी करवाते हैं।