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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में एक गांव है जिसे प्रकृति ने अनुपम सौंदर्य तो प्रदान किया ही है अपितु लोक संस्कृति की अनूठी परम्परा को जीवंत रखने में भी इसका विशेष महत्व है।
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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
कुल्लू जिला की सैंज घाटी में स्थित इस स्थान का नाम है शांघड़। चारों ओर हरे-भरे पेड़ों से लबरेज पर्वत चोटियां और बीच में एक शांघड़ का मैदान।
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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
यहां जो भी व्यक्ति एक बार आता है वह बार-बार यहां आने के लिए लालयित रहता है। यूनेस्को द्वारा हैरीटेज घोषित वृहत हिमालय नैशनल पार्क के पाश्र्व में स्थित इस मैदान को ‘हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग’ भी कहा जा सकता है।
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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
समुद्र तट से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस स्थान को शांघड़ यूं ही नहीं कहा जाता। इसे यह नाम इसलिए मिला है कि यह शान का प्रतीक है।
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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
शांघड़ नाले के आर-पार स्थित वरशांघड़, बराली, बनाहड़, मदाना, कटवाली, डगाहरा, पटाहरा गोष्ठी, डडेरा आदि छोटे-छोटे गांव से युक्त यह मैदान इन सबका केंद्रीय स्थान है।
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Shangarh: प्राकृतिक सौंदर्य और संस्कृति का अनूठा संगम है हिमाचल प्रदेश का गुलमर्ग
यह मैदान देवता शंखचूल का है, जिसे स्थानीय बोली में देऊ शांघडू भी कहते हैं। जनश्रुति है कि एक बार देवता शंखचूल हिमालय में भ्रमण करते हुए इस स्थान पर पहुंचे और यहां के सौंदर्य से प्रभावित होकर यहीं पर रहने का निश्चय किया।