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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
शनिदेव के पूरे भारतवर्ष में अनेकों मंदिर हैं परन्तु शनि देवता के तीन स्थान ऐसे हैं जिन्हेें सिद्धपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त है। ये हैं शनि शिंगणापुर (महाराष्ट्र), कोकिला वन (वृंदावन) व ग्वालियर (गोमती तट पर)।
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
इन तीनों में भी शनि शिंगणापुर की मान्यता सर्वाधिक है। शनिदेव का यह अनूठा देवस्थान महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है।
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
साई तीर्थ शिरडी से शिंगणापुर की दूरी 40 किलोमीटर, पुणे से 158 किलोमीटर, नासिक से 130 किलोमीटर तथा मुम्बई से 280 किलोमीटर है। निकटतम हवाई अड्डे पुणे व मुम्बई हैं। शिंगणापुर तीर्थ की गाथा बहुत ही दिलचस्प है।
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
कहते हैं कि यदि कोई चोरी की नीयत से किसी का सामान छूता भी है तो शनिदेव उसको अपने ढंग से दंडित कर देते हैं। दरवाजे और चौखट न होने के बावजूद चोरी न होने को यहां के लोग शनिदेव की कृपा मानते हैं।
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
शनि शिंगणापुर के इतिहास संबंधी गाथा अत्यंत रोचक, अद्भुत व रोमांचक है। शनिदेव के स्वयंभू प्रकट होने संबंधी कई कथाएं इस क्षेत्र से जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
कि यहां पास ही एक पानस नाम का नाला बहता है। लगभग पौने दो सौ वर्ष पहले इस इलाके में मूसलाधार बारिश हुई थी। उसी समय नदी में बाढ़ आ गई जिसमें एक काले पत्थर की मूर्ति बहकर आ गई और बेर के पेड़ के साथ अटक कर रुक गई।
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Shingnapur: बाढ़ में बहकर आए थे शनिदेव, जानें अद्भुत व रोमांचक कथा
पानी उतरने पर गांव के लोग अपने मवेशी चराने के लिए निकल पड़े तो उन्हें काले रंग की एक बड़ी शिला दिखाई दी। गांव वालों ने छड़ी से शिला को छूकर देखा, तो उसके स्पर्श से शिला में से रक्त बहने लगा तथा उसमें एक बड़ा सा छेद भी हो गया।