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इस मंदिर के दर्शन नहीं किए तो अधूरी रह जाएगी गंगोत्री धाम की यात्रा
गंगोत्री, यमनोत्री, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ के बारे में जानते हैं मगर क्या आप जानते हैं गंगोत्री धाम से जुड़ा ऐसा मंदिर है जिसके दर्शन किए बिना गंगोत्री धाम की यात्रा अधूरी मानी जाती है।
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इस मंदिर के दर्शन नहीं किए तो अधूरी रह जाएगी गंगोत्री धाम की यात्रा
लेकिन क्या आप जानते हैं कि देवभूमि में एक ऐसा भी मंदिर है, जिसके संबंध में मान्यता है कि यहां दर्शन किए बिना गंगोत्री जाने पर भी मां गंगा का आशीर्वाद नहीं मिलता यानि बिना इस मंदिर के दर्शन के गंगोत्री यात्रा अधूरी मानी जाती है।
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इस मंदिर के दर्शन नहीं किए तो अधूरी रह जाएगी गंगोत्री धाम की यात्रा
बता दें 26 अप्रैल, रविवार को गंगोत्री धाम के कपाट खुल चुके हैं। गंगोत्री धाम के यह कपाट रविवार को शुभ मुहूर्त में दोपहर 12 बजकर 35 मिनट पर और इसी दिन 12 बजकर 41 मिनट पर यमुनोत्री धाम के कपाट खोल दिए गए। परंतु लॉकडाउन के चलते भक्तों के जाने पर अभी पाबंदी है।
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यह तो सभी जानते हैं कि काशी को भगवान भोले की नगरी कहा जाता है, मान्यता है कि यहां साक्षात शिव शंकर विराजते हैं। मगर बहुत कम लोग जानते हैं कि ठीक इस ही प्रकार देवभूमि में भी एक काशी है, जिसे उत्तरकाशी के नाम से जाना जाता है।
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बताया जाता है यहां भी भगवान विश्वनाथ का एक प्राचीन मंदिर है जो पूरे उत्तरकाशी की विशेष पहचान है। लोक मत है कि इस नगर पर हमेशा से भोलेनाथ की विशेष कृपा रही है, यही वजह है कि उत्तरकाशी को विश्वनाथ नगरी कहा जाता है।
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चार धामों में से एक गंगोत्री धाम भी इसी क्षेत्र में पड़ता है। कहा जाता है कि अगर भगवान विश्वनाथ के दर्शन नहीं किए तो मां गंगा का आशीर्वाद नहीं मिलता।
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बिना विश्वनाथ मंदिर के दर्शन के गंगोत्री यात्रा अर्थहीन है। यही कारण है कि गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही उत्तरकाशी में भगवान विश्वनाथ के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
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बता दें इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, मंदिर के दाईं और शक्ति मंदिर स्थापित है। मंदिर में 6 मीटर ऊंचा और 90 सेंटीमीटर परिधि वाला एक बड़ा त्रिशूल स्थापित है। अगर कथाओं की मानें तो देवी दुर्गा ने प्राचीन काल में ने इस शक्तिशाली त्रिशूल से दानवों का संहार किया था।