यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    आज हम आपको बताने जा रहे हैं देवी लक्ष्मी को एक भव्य मंदिर की। बात दें हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित देवी लक्ष्मी के मंदिर की, जो लगभग 7 हज़ार साल पुराना है तथा बेहद रहस्यमयी है।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    आमतौर पर मंदिरों का मुख्यद्वार पूर्व दिशा में होता है। लेकिन इस मंदिर की खासियत है कि यहां चारों दिशाओं से प्रवेश किया जा सकता है।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    मंदिर के स्तंभों पर बहुत सुंदर नक्काशी की गई है। साल में दो बार सूर्य की किरणें देवी के विग्रह पर सीधी पड़ती हैं। जो चरणों को स्पर्श करती हुई उनके मुखमंडल तक आती हैं।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    इस अद्भुत प्राकृतिक घटना को किरणोत्सव कहा जाता है। इसे देखने के लिए भारत के कोने-कोने से हज़ारों श्रद्धालु कोल्हापुर आते हैं।
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    बता दें कि ये प्राकृतिक घटना हर साल माघ मास की रथ सप्तमी को संभावित होती है। कोल्हापुर में ये उत्सव तीन दिनों के लिए मनाया जाता है।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    पहले दिन सूर्य की किरणें देवी मां के पैरों पर गिरती हैं, दूसरे दिन मध्यभाग में और तीसरे दिन मां के मुखमंडल को छूकर अदृश्य हो जाती हैं।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    शक्तिपीठ कहे जाने वाले मां के इस धाम को लेकर लोगों में इतना विश्वास है कि हर साल दिवाली के मौके पर देवस्थान तिरुपति के कारीगर सोने के धागों से बुनी विशेष साड़ी महालक्ष्मी को भेंट करते हैं।
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    यहां सूरज की किरणों से होता है देवी मां का अभिषेक, क्या आप ने किए इस भव्य मंदिर के दर्शन?

    जिसे स्थानीय भाषा में शालू कहा जाता है। इसके बाद दीपावली की रात में माता का विशेष पूजन और शृंगार किया जाता है।
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    इस पूजन में दूर-दूर से लोग आते हैं और महाआरती में अपने मन की मुरादें मांगते हैं। ऐसी मान्यता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज और उनकी माता जीजा बाई भी यहां पूजन करने आती थीं।