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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
गुजरात के सौराष्ट्र में वैरावल नामक स्थान पर स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल सोमनाथ न केवल प्राकृतिक दृष्टि से एक परिपूर्ण धार्मिक स्थल है, वरन राष्ट्रीय महत्व का ऐतिहासिक स्थल भी है।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
एक ओर गुजरात का अनूठा हस्तशिल्प पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है तो दूसरी ओर लम्बे समुद्री किनारे भी पर्यटकों को यहां आने के लिए लुभाते रहते हैं।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
आज इन ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखना आवश्यक है। सोमनाथ का मंदिर कई विदेशी आक्रांताओं के हमलों का साक्षी रहा है। अरब सागर की तूफानी लहरें इस मंदिर से हरदम टकराती रहती हैं।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
विदेशी आक्रांताओं द्वारा लूटे जाने एवं खंडित किए जाने के बाद भी भारत की अनूठी कलात्मकता तथा संस्कृति का प्रतीक यह मंदिर अल्प समय में पुन: तैयार हो गया।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
सोमनाथ मंदिर संभवत: विश्व का सर्वश्रेष्ठ एवं समृद्ध मंदिर था। सन 1026 ई. में जब मोहम्मद गौरी ने इसे लूटा तब प्रतिदिन पूजा के अवसर पर कश्मीर से लाए हुए फूलों तथा गंगा के पानी से यहां अभिषेक किया जाता था।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
यहां 56 रत्न तथा हीरों से जडि़त खम्भे थे जिन पर लगा सोना विभिन्न शिवधर्मी राजाओं द्वारा दिया गया था। इन खम्भों पर बेशकीमती हीरे, जवाहरात, रुबिया, मोती, पन्ने आदि जड़े थे।
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Somnath Jyotirlinga: 17 बार लूटने के बाद भी अपने पूर्ण दमखम के साथ खड़ा है
सोमनाथ का शिवलिंग 10 फुट ऊंचा तथा 6 फुट चौड़ा है। कहा जाता है कि सोलंकी राजा भीमदेव ने बुंदेलखंड के युद्ध में जीती हुई सोने की पालकी मंदिर को अर्पित की थी।