Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे
  • >X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास महाभारत और रामायण से जुड़ा है। इनमें से भगवान शिव का एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में है, जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
  • <>X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आदिकाल में भोले शंकर ने यहां देवेश्वर के रूप में दर्शन दिए थे।
  • <>X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    भोलेनाथ को समर्पित इस मंदिर का मुख्य गर्भगृह एक गुफा के अंदर है, जिसमें शिवलिंग पर पानी की बूंदें लगातार गिरती रहती हैं।
  • <>X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    टोंस नदी के तट पर स्थित टपकेश्वर मंदिर की एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह गुफा द्रोणाचार्य (महाभारत के समय कौरवों और पांडवों के गुरु) का निवास स्थान मानी जाती है।
  • <>X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    उन्होंने भोलेनाथ से प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान शिव ने गुफा की छत पर गऊ थन बना दिए और दूध की धारा शिवलिंग पर बहने लगी, जिसकी वजह से प्रभु शिव का नाम दूधेश्वर पड़ा।
  • <>X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    इस मंदिर में भगवान शिव टपकेश्वर के नाम से जाने जाते हैं। यहां दो शिवलिंग हैं। ये दोनों गुफा के अंदर स्वयं प्रकट हुए थे। शिवलिंग को ढकने के लिए 5151 रुद्राक्षों का इस्तेमाल किया गया है।
  • <X

    Tapkeshwar Mahadev Mandir: अद्भुत है टपकेश्वर महादेव मंदिर, शिवलिंग पर चट्टान से टपकती है पानी की बूंदे

    मान्यता है कि इस गुफा में कौरवों और पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य भगवान शिव की तपस्या करने के लिए आए थे। 12 साल तक उन्होंने भोलेनाथ की तपस्या की थी।