Tapkeshwar Mahadev: इस मंदिर में कभी टपकता था दूध लेकिन अब आता है जल, जानें रहस्य
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    Tapkeshwar Mahadev: इस मंदिर में कभी टपकता था दूध लेकिन अब आता है जल, जानें रहस्य

    भोलेनाथ के कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनका इतिहास महाभारत और रामायण से जुड़ा है। इनमें से भगवान शिव का एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में है
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    Tapkeshwar Mahadev: इस मंदिर में कभी टपकता था दूध लेकिन अब आता है जल, जानें रहस्य

    जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। टपकेश्वर महादेव मंदिर देहरादून के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। पौराणिक मान्यता के अनुसार आदिकाल में भोले शंकर ने यहां देवेश्वर के रूप में दर्शन दिए थे। इस मंदिर के शिवलिंग पर एक चट्टान से पानी की बूंदें टपकती रहती हैं।
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    Tapkeshwar Mahadev: इस मंदिर में कभी टपकता था दूध लेकिन अब आता है जल, जानें रहस्य

    भोलेनाथ को समर्पित इस मंदिर का मुख्य गर्भगृह एक गुफा के अंदर है, जिसमें शिवलिंग पर पानी की बूंदें लगातार गिरती रहती हैं। इसी कारण भगवान शिव के इस मंदिर का नाम टपकेश्वर पड़ा। टपक एक हिंदी शब्द है, जिसका अर्थ है बूंद-बूंद गिरना।
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    टोंस नदी के तट पर स्थित टपकेश्वर मंदिर की एक पौराणिक कथा के अनुसार, यह गुफा द्रोणाचार्य (महाभारत के समय कौरवों और पांडवों के गुरु) का निवास स्थान मानी जाती है। इस गुफा में उनके बेटे अश्वत्थामा पैदा हुए थे।
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    बेटे के जन्म के बाद उनकी मां दूध नहीं पिला पा रही थी। उन्होंने भोलेनाथ से प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान शिव ने गुफा की छत पर गऊ थन बना दिए और दूध की धारा शिवलिंग पर बहने लगी
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    जिसकी वजह से प्रभु शिव का नाम दूधेश्वर पड़ा। कलियुग में इस धारा ने पानी का रूप ले लिया, इस कारण इस मंदिर को टपकेश्वर कहा जाता है।
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    Tapkeshwar Mahadev: इस मंदिर में कभी टपकता था दूध लेकिन अब आता है जल, जानें रहस्य

    इस मंदिर में भगवान शिव टपकेश्वर के नाम से जाने जाते हैं। यहां दो शिवलिंग हैं। ये दोनों गुफा के अंदर स्वयं प्रकट हुए थे। शिवलिंग को ढकने के लिए 5151 रुद्राक्षों का इस्तेमाल किया गया है। मंदिर के आस-पास मां संतोषी की गुफा भी है।