Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य
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    Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य

    भारत में नदियों के अनेक संगम स्थल हैं। उन सबका अपना-अपना धार्मिक, सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक महत्व है, किन्तु प्रयाग के जिस संगम की चर्चा यहां की जा रही है, उसका परम्परा से अपना वैशिष्ट्य रहा है।
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    Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य

    प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल को ही संगम कहा गया है। पुराणों का कथन है कि जो लोग श्वेत (सित) तथा कृष्ण (नील या असित) दो नदियों के मिलन स्थल (संगम) पर स्नान करते हैं, वे स्वर्ग जाते हैं।
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    प्रयागराज यानी इलाहाबाद में अनेक दर्शनीय स्थल हैं जिनमें एल्फ्रेड पार्क, जहां महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद ने शहीदी प्राप्त की थी, से लेकर इलाहाबाद यूनिवर्सिटी तक शामिल हैं।
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    Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य

    त्रिवेणी का साक्ष्य : श्रुति, स्मृति और पुराणों का अनुशीलन करने पर ज्ञात होता है कि जहां स्मृतियों तथा पुराणों में प्रयाग का महत्व विस्तार से वर्णित है, वहीं श्रुतियों के केवल ऋग्वेद के दो स्थलों पर उसका उल्लेख हुआ है।
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    Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य

    तीर्थ-चिन्तामणि में उद्धत ऋग्वेद (खिल 10/24) के मंत्र में कहा गया है कि जिस स्थान पर श्वेतवर्णा (धवला) गंगा और असितवर्णा (नीलवर्णा) यमुना, ये दो नदियां मिलती हैं, उस स्थल पर स्नान करने से स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है। जो जन उस स्थान पर शरीर विसर्जन करते हैं वे भी अमर हो जाते हैं।
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    ऋग्वेद मंत्र से प्रभावित होकर महाकवि कालिदास ने रघुवंश (13/58) में कहा है कि सितासित धाराओं से संयुक्त गंगा-यमुना के संगम पर जो व्यक्ति स्नान कर पवित्र होते हैं वे तत्वज्ञानी न होने पर भी संसार के बंधनों से मुक्त हो जाते हैं। इस संदर्भ में कालिदास ने भी सरस्वती की चर्चा नहीं की है।
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    Triveni Sangam: शास्त्रों से जानें, प्रयाग में गंगा-यमुना-सरस्वती के संधि स्थल का रहस्य

    इस मंत्र से यह ज्ञात होता है कि प्रयाग का गंगा-यमुना के संगम के रूप में महत्व माना गया है।