Vaishali Tourism 2021: अध्यात्म से सराबोर होने के लिए करें वैशाली की यात्रा
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    Vaishali Tourism 2021: अध्यात्म से सराबोर होने के लिए करें वैशाली की यात्रा

    वैशाली बिहार प्रांत के तिरहुत प्रमंडल का एक जिला है। मुजफ्फरपुर से अलग होकर 12 अक्तूबर 1972 को वैशाली एक अलग जिला बना।
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    Vaishali Tourism 2021: अध्यात्म से सराबोर होने के लिए करें वैशाली की यात्रा

    वैशाली जिले का मुख्यालय हाजीपुर में है। वज्जिका तथा हिंदी यहां की मुख्य भाषाएं हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र अर्थात ‘रिपब्लिक’ कायम किया गया था।
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    वैशाली भगवान महावीर की जन्मस्थली होने के कारण जैन धर्म के मतावलम्बियों के लिए एक पवित्र नगरी है। भगवान बुद्ध का यहां 3 बार आगमन हुआ। भगवान बुद्ध के समय 16 महाजनपदों में वैशाली का स्थान मगध के समान महत्वपूर्ण था।
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    ऐतिहासिक महत्व का होने के अलावा आज यह जिला राष्ट्रीय स्तर के कई संस्थानों तथा केले, आम और लीची के उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। यहां 263 एकड़ में फैली हुई प्रसिद्ध बरैला झील है।
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    वैशाली का नामकरण रामायण काल के एक राजा विशाल के नाम पर हुआ है। विष्णु पुराण में इस क्षेत्र पर राज करने वाले 34 राजाओं का उल्लेख है जिसमें प्रथम ‘नभग’ तथा अंतिम ‘सुमति’ थे। राजा ‘सुमति’ राजा दशरथ के समकालीन थे।
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    विश्व को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली ही है। आज वैश्विक स्तर पर जिस लोकशाही को अपनाया जा रहा है, वह यहां के लिच्छवी शासकों की ही देन है।
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    वैशाली के समीप कोल्हुआ में भगवान बुद्ध ने अपना अंतिम संबोधन दिया था। इसकी याद में महान मौर्य सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सिंह स्तम्भ का निर्माण करवाया था।
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    भगवान बुद्ध के महा परिनिर्वाण के लगभग 100 वर्ष बाद वैशाली में दूसरी बौद्ध परिषद् का आयोजन किया गया था। इस आयोजन की याद में दो बौद्ध स्तूप बनवाए गए। वैशाली के समीप ही एक विशाल बौद्ध मठ है जिसमें भगवान बुद्ध उपदेश दिया करते थे।
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    भगवान बुद्ध के सबसे प्रिय शिष्य आनंद की पवित्र अस्थियां हाजीपुर (पुराना नाम-उच्चकला) के पास एक स्तूप में रखी गई थी। पांचवीं तथा छठी सदी के दौरान प्रसिद्ध चीनी यात्री फाहियान तथा ह्वेनसांग ने वैशाली का भ्रमण कर यहां का भव्य वर्णन किया है।
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    ऐतिहासिक और धार्मिक स्थली के साथ-साथ सामाजिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों में भी नगर का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है। स्टेशन के ठीक सामने शहर की हृदय स्थली ‘गांधी आश्रम’ है जहां चंपारण जाने के दौरान गांधी जी के चरण पड़े थे।