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Visit Vrindavan: आइए करें, राधा कृष्ण की प्रेम नगरी का दर्शन
वृंदावन उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित एक ऐतिहासिक शहर है। हिंदू धर्म के अनुसार, भगवान कृष्ण ने अपने बचपन के दिन यहीं बिताए थे। यह शहर मथुरा से लगभग 15 कि.मी. दूर है।
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वृन्दावन वह जगह है जहां श्री कृष्ण ने महारस रचाई थी। यहां के कण-कण में राधा-कृष्ण के प्रेम की आध्यात्मिक धारा बहती है।
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वृन्दावन में जन्माष्टमी मथुरा से अगले दिन मनाई जाती है तथा छप्पन भोग लगाया जाता है, जिसे देखने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
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कृष्ण जन्माष्टमी के समय भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं और झांकियों को देखने के लिए यहां भारी भीड़ जुटती है।
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15वीं शताब्दी (1515) में चैतन्य महाप्रभु ने अपनी ब्रज यात्रा के समय वृन्दावन तथा भगवान कृष्ण कथा से संबंधित अन्य स्थानों को अपने अंतर्ज्ञान से पहचाना था।
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रासस्थली, वंशीवट से युक्त वृन्दावन सघन वनों में लुप्त हो गया था। माना जाता है कि अपनी आध्यात्मिक शक्ति के द्वारा वे भगवान कृष्ण के अतीत के सभी महत्वपूर्ण स्थानों का वृंदावन में और आसपास पता लगाने में सफल हुए।
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इसके बाद मीराबाई भी मेवाड़ राज्य छोड़ कर वृंदावन आ गई थीं। यह भी कहा जाता है कि वर्तमान वृन्दावन असली या प्राचीन वृन्दावन नहीं है। श्रीमद्भागवत के वर्णन तथा अन्य उल्लेखों से जान पड़ता है कि प्राचीन वृन्दावन गोवर्धन के निकट था।
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गोवर्धन-धारण की प्रसिद्ध कथा की स्थली वृन्दावन पारसौली (परम रासस्थली) के निकट थी। महाकवि सूरदास इसी ग्राम में दीर्घकाल तक रहे थे। सूरदास जी ने वृन्दावन रज की महिमा के वशीभूत होकर गाया है-‘हम ना भई वृन्दावन रेणु।’