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Vrindavan: राजस्थान में भी बसा है वृंदावन, पढ़ें रोचक इतिहास
ऐसा ही करीब एक हजार वर्ष पुराना एक चमत्कारी पेड़ राजस्थान के वृंदावन (झुंझनूं जिले से लगभग 23 किलोमीटर दूर) भंडूदा में है, जहां हरिदास के शिष्य बाबा पुरुषोत्तम दास ने राधा-कृष्ण की आराधना की और उत्तर प्रदेश से इतर राजस्थान में भी एक वृंदावन बसाया।
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Vrindavan: राजस्थान में भी बसा है वृंदावन, पढ़ें रोचक इतिहास
हर साल भादों कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानी कृष्ण जन्माष्टमी और फाल्गुन शुक्ल पक्ष की द्वादशी पर राजस्थान के वृंदावन में विराट व विशाल मेला लगता है
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Vrindavan: राजस्थान में भी बसा है वृंदावन, पढ़ें रोचक इतिहास
पंचपेड़ के प्रति आस्था व बाबा पुरुषोत्तम दास पर विश्वास रखने वाले भक्तों का जीवन भी सुख-शांति के लिहाज से उतना ही हरा-भरा रहता है।
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Vrindavan: राजस्थान में भी बसा है वृंदावन, पढ़ें रोचक इतिहास
जन्माष्टमी व होली पर लगने वाले मेले के अलावा हर महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को पंचपेड़ के समीप बने बाबा के भव्य मंदिर में भजन-संध्या और द्वादशी की ज्योत ली जाती है
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बाबा का एक मंदिर मध्य कोलकाता में भी है। कोलकाता में भी मुख्य मंदिर की तर्ज पर सभी आयोजन किए जाते हैं। वृंदावन के मंदिर के रख-रखाव का जिम्मा श्री बिहारी जी सेवा सदन पर है, तो पंचपेड़ के रख-रखाव का काम श्री बिहारी जी मित्र मंडल देखता है।
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बाबा के पूर्वजों और मंदिर व पंचपेड़ के पुजारियों के मुताबिक श्री बिहारी जी महाराज के अनन्य भक्त स्वामी हरिदास के शिष्य संत शिरोमणि बाबा पुरुषोत्तम दास ने सैंकड़ों वर्ष पहले अपनी तपस्या के बल पर इस गांव को बसाया था।
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प्रति वर्ष कृष्ण जन्मोत्सव व होली पर देश के कोने-कोने और विदेशों से भी काफी भक्तजन दर्शनार्थ व पर्यटन के उद्देश्य से यहां आते हैं व बाबा के चरणों में श्रद्धा सुमन चढ़ा कर मनौतियां मांगते हैं।