Vrindavan: आज भी वृंदावन से जुड़े हैं गहरे राज, जिनसे जनमानस है अनजान
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    Vrindavan: आज भी वृंदावन से जुड़े हैं गहरे राज, जिनसे जनमानस है अनजान

    चैतन्य महाप्रभु प्रणीत गौड़िय संप्रदाय के वरिष्ठतम गोस्वामियों रूप-सनातन ने महाप्रभु के आशीर्वाद एवं उनकी आज्ञा से ब्रज क्षेत्र के लुप्त हो चुके स्थलों की खोज प्रारंभ की
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    Vrindavan: आज भी वृंदावन से जुड़े हैं गहरे राज, जिनसे जनमानस है अनजान

    अपनी अध्यात्मिक शक्ति के बल पर उन्होंने मथुरा से 7 मील दूर यमुना किनारे के एक वनप्रदेश को पौराणिक वृंदावन घोषित किया
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    वहां धीरे-धीरे अनेक देवालयों की स्थापना होने लगी। जब महाप्रभु ब्रजभूमि पर आए तो उन्होंने बरसाना एवं गोवर्धन के मध्य एक खेत में रहे पानी के खड्ड को प्राचीन पावन राधाकुंड घोषित किया।
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    यहां यदि सनातन रूप आदि षड् गोस्वामियों द्वारा उत्खनित वृंदावन की बात करें तो निश्चित रूप से यह स्थल प्राचीन काल में भी ब्रज के पुण्य वनों में से एक था
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    चूंकि वहां भूगर्भ से अनेक विग्रह भी प्राप्त हुए तो यह माना गया कि ईसा पश्चात के समय में यहां एक बड़ा धार्मिक नगर बसा हुआ था। संतों ने इसे श्रीकृष्ण की लीलाओं से जोड़ कर रखा तथा इसी क्रम में अनेक लीला स्थलों का प्राकट्य भी किया।