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Yatra- आईए करें, मुम्बई में स्थित ‘काशी’ का दर्शन
मुम्बई में भी एक काशी है, यह है दक्षिण मुम्बई में मालाबार हिल स्थित बाणगंगा कुंड। इस 115 और 40 मीटर के कुंड के चारों ओर 23 मंदिर हैं। इसकी छटा काशी की तरह है।
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यहां जाइए तो लगता है हम काशी के किसी घाट पर आ गए हैं। स्नान परिक्रमा, विभिन्न धार्मिक विधियों की छटा से बाणगंगा, वालकेश्वर क्षेत्र को ‘मुम्बई की काशी’ कहा जाता है।
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वालकेश्वर इलाके की रचना बाणगंगा कुंड के रूप में हुई। मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जब सीता जी को खोजने के लिए पंचवटी से निकले तो यहीं पहुंचे थे।
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यहां उन्हें प्यास लग गई थी। उन्होंने प्यास बुझाने के लिए लक्ष्मण से पानी मांगा लेकिन समुद्र का पानी खारा होने के कारण लक्ष्मण ने जमीन पर बाण मार कर गंगा की धार प्रस्तुत की और उसका मीठा जल श्री राम को पीने के लिए दिया।
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तब से इस जगह को बाण से प्रकट हुई गंगा यानी बाणगंगा कहा जाता है। शिलहार राजाओं ने 810 से 1260 ईस्वी के बीच इसके चारों तरफ ऊंची बैठकों वाली सीढ़ीनुमा रंगभूमि का निर्माण करवाया।
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कुंड की वजह से प्राचीन काल में इसका नाम ‘श्री कुंडी’ और फिर अपभ्रंश के रूप में ‘श्री मुंडी’ प्रचलित हो गया। इन राजाओं ने ‘श्री मुंडी’ मंदिर सहित चार मंदिरों का निर्माण करवाया, इसमें शीर्षभाग पर रेत-बालू से प्रकट हुए स्वयंभू महादेव भी थे। इस तरह नाम पड़ा वालकेश्वर।