Yatra: आईए करें, श्री राम यात्रा मार्ग के कुछ स्थलों का दर्शन
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    Yatra: आईए करें, श्री राम यात्रा मार्ग के कुछ स्थलों का दर्शन

    अयोध्या जी से पंचवटी तक जहां भी श्री राम, लक्ष्मण जी तथा सीता जी हैं वे स्थल वनवास यात्रा से संबंधित हैं। पंचवटी के आगे जिन स्थलों पर केवल श्री राम, लक्ष्मण तथा कष्किंधा से आगे जहां भी राम, लक्ष्मण, सुग्रीव तथा हनुमान हैं वे सभी स्थल वनवास यात्रा से संबंधित हैं।
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    श्री राम वनवास मार्ग निर्धारण में नदियों का भी बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान है। वाल्मीकि रामायण में तमसा (मंढाह), वेदश्रुति (विसुही), गोमती, स्पंदिका (सई), बालुकिनी (बकुलाही), वद्रथी (सकरनी), गंगा जी, यमुना जी, मंदाकिनी तथा तुंगभद्रा नदियों का नाम आया है।
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    श्री राम के वनवास मार्ग में आने वाली अन्य नदियां इस प्रकार हैं : वाल्मीकि नदी, बाघिन, केन, तिहरी, गलको, शिल्परा, हिरण, मोढू, सोन, जुहिला, मबई, रापा, नेउर, बरनी, जोजाराम, बालम, देही, सरगी, चित्रोत्पला, इंद्रावती, कांगेर, सती, सलेरू, होल्दीहोल, माजरा, राम गंगा, कुंडलिनी
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    श्री राम यात्रा मार्ग के कुछ स्थल रामघाट, नगहर, बलिया (उ.प्र.) यह स्थान लखनेश्वर डीह से आधा कि.मी. दूर पुरानी सरयू जी के किनारे है।
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    सिदागर घाट, (सरयू जी), गाजीपुर (उ.प्र.) सिदागर शब्द सिद्ध गण का अपभ्रंश माना जाता है। वाल्मीकि रामायण के अनुसार सरयू नदी के किनारे ऋषि मंडल रहते थे।
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    रामघाट मऊ (सरयू जी), मऊ (उ.प्र.) मऊ के निकट पुरानी सरयू के किनारे रामघाट है। माना जाता है कि यहां श्री राम ने सरयू में स्नान किया था तथा वे विश्वामित्र मुनि के साथ इसी मार्ग से सिद्धाश्रम गए थे।
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    लखनेश्वर डीह, बैजल (सरयू जी), बलिया (उ.प्र.) लखनेश्वर, लक्ष्मणेश्वर का अपभ्रंश है तथा डीह का अर्थ है पुराना मिट्टी का टीला।