Yatra: मुम्बई के लघु सबरीमाला से होता है ‘देव ज्योति’ का दर्शन !
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    Yatra: मुम्बई के लघु सबरीमाला से होता है ‘देव ज्योति’ का दर्शन !

    एन.सी.एच. कालोनी, काजुरमार्ग मुम्बई की एक टेकड़ी पर मौजूद अयप्पा मंदिर केरल के मूल मंदिर से अद्भुत साम्य के कारण ‘मुम्बई का लघु सबरीमाला’ कहलाता है।
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    Yatra: मुम्बई के लघु सबरीमाला से होता है ‘देव ज्योति’ का दर्शन !

    यह मंदिर शुद्धिकरण अनुष्ठान के साथ केरल के थाचु शास्त्र और तंत्र विधि के अनुरूप बना है। मौजूदा मंदिर जिस स्थान पर है, वहां पहले देवी के एक विशाल मंदिर के साथ अयप्पा का एक छोटा मंदिर हुआ करता था।
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    विदेशी आक्रांताओं ने पुजारियों की निर्ममतापूर्वक हत्या करके मंदिर नष्ट कर डाला, जिसके पुरावशेष आज भी देखे जा सकते हैं। मंदिर के साथ गणपति, भुवनेश्वरी और नागदेवता के मंदिर और एक छोटा झरना भी है।
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    हरिओम नगर (पूर्व) स्थित श्री अयप्पा मंदिर जिस स्थान पर निर्मित है उसे एक विष्णु भक्त ऋषि का आराधना स्थल होने से विष्णु पीठ माना जाता है, इसलिए यहां अयप्पा के साथ भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना का भी समान महत्व है।
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    यह उन विरल मंदिरों में से है जहां मुख्य प्रतिष्ठा और ध्वज प्रतिष्ठा साथ-साथ की गई। यहां एक तीर्थकुलम और बरगद का विशाल वृक्ष भी है जिसके नीचे नागदेवता का वास माना जाता है। बांगुर नगर (गोरेगांव) का 1953 में स्थापित श्री अयप्पा मंदिर मुम्बई के सबसे पुराने अयप्पा मंदिरों में से है।
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    सबरीमाला का नाम परम रामभक्त ‘शबरी’ पर पड़ा है, जिनके जूठे फल भगवान राम ने स्वाद लेकर खाए थे और ‘नवधा भक्ति’ का उपदेश देकर अमर कर दिया था।
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    कहा जाता है मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में पहाड़ी की कांतामाला चोटी पर आज भी रह-रहकर शोर के साथ असाधारण चमक वाली मकर ज्योति दिखाई देती है, जिसे ‘देव ज्योति’ माना जाता है।