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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
स बारअक्षय नवमी का पर्व 23 नवम्बर को मनाया जा रहा है। गोपाष्टमी पर गाय माता की पूजा करने के बाद प्रत्येक वर्ष अक्षय नवमी दिन ब्रजमंडल के विभिन्न तीर्थस्थलों में श्रद्धालुओं के बीच परिक्रमा करने की होड़ लग जाती है।
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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
कार्तिक महात्म्य के विष्णु खण्ड का जिक्र करते हुए ब्रज के महान संत बलराम बाबा ने बताया कि महाप्रलय के बाद जब धरती से मानव,दानव,सर्पों,वनस्पतियों आदि की समाप्ति हो गई तो ब्रम्हा जी ने भगवान विष्णु का आशीर्वाद लेने के लिए जप किया।
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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
काफी समय के बाद भगवान विष्णु ने ब्रम्हा जी को यह अहसास कराया कि वे उनके ऊपर प्रसन्न हो गए हैं तथा उनकी मुराद अब पूरी होगी। उस समय ब्रम्हा जी ने प्रसन्नता से न केवल गहरी सांस ली बल्कि प्रसन्नतावश उनके नेत्रों से आंसू निकल पड़े जिनके जमीन पर गिरने से वह आंवला बन गया।
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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
मान्यता है कि सृष्टि की पहली वनस्पति आंवला बना। इसके बाद जब ब्रम्हा जी ने मानव की संरचना की तो देवता उस स्थान पर आए जहां पर आंवले का वृक्ष उग आया था। कहा तो यह भी जाता है कि जब देव आंवला के पेड़ के पास गए तो आकाशवाणी हुई कि यह आंवला का पेड़ है।
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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
देश के कुछ भागों में इसे अमरदकी का वृक्ष भी कहा जाता है।यह भी कहा जाता है कि अक्षय नवमी के दिन इसका स्मरण मात्र से गोदान करने का फल मिलता है तथा इसके देखने मात्र से फल दूना और उसके फल को खाने से पुण्य तीन गुना हो जाता है। यह पाप मोचक भी होता है।
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अक्षय नवमी पर ब्रजमंडल में मचेगी परिक्रमा करने की होड़
शास्त्रों के अनुसार आंवले की जड़ में भगवान विष्णु, जड़ के कुछ ऊपर के भाग में ब्रम्हा जी, तने में भगवान शिव, इसकी डालेां में 12 सूर्य तथा इसकी छोटी छोटी टहनियों में 33 करोड़ देवताओं का वास होता है।