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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
नवरात्र के नौ दिनों में मां की आराधना करने के बाद दशमी पर बुराई पर अच्छाई की प्रतीक का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन देशभर में रावण का पुतला जलाने की परंपरा है। हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इसका आयोजन किया जाता है।
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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
भगवान राम ने इसी दिन बुराई का अंत किया था। दुराचार का खात्मा किया था। और दुराचारी का वध करके सभी को उससे मुक्त कराया था। इसी तरह देवी दुर्गा ने भी एक भयानक राक्षस का विनाश कर विजय प्राप्त की थी।
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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
इसी दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर को मौत के घाट उतार दिया। इसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में भी मनाया जाता है। इसीलिए इस दशमी को 'विजयादशमी' के नाम से जाना जाता है।
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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
जहां एक तरफ इस दिन देश के हर एक छोटे-बड़े शहर में दशहरे की धूम देखने को मिलती है। तो वहीं दूसरी तरफ एक जगह ऐसी भी है जहां पर लोग रावण का पुतला नहीं फूंकते। बल्कि दशहरा का त्योहार को मनाने के लिए रथयात्रा निकालते हैं।
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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
हम बात कर रहे हैं हिमाचल प्रदेश के कुल्लु के बारे में जो कि एक हिल स्टेशन के रूप में जाना जाता है। लेकिन आज हम आपको कुल्लु की हसीन वादियों के बारे में नहीं बताने जा रहे हैं।
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अलग है कुल्लू के दशहरे की बात, क्या आप जानते हैं क्या है इसकी खासियत
बल्कि यहां पर सदियों से चल रही दशहरे की अनोखी परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं। जो एतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। कुल्लू में जिस अंदाज से लोग दशहरा मनाते हैं वो अपने आप में नायाब है।