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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
भारत में जितने अद्भुत व खूबसूरत मंदिर हैं उससे दोगुना ऐतिहासिक व प्राचीन किले आदि हैं। जो हमारे देश को अधिक खूबसूरत व आकर्षक बनाती हैं। अब आप समझ तो चुके ही होंगे कि हम आज अपने इस आर्टिकल के माध्यम से आपको एक ऐतिहासिक किले के बारे में बताने जाने वाले हैं।
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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
हम बात कर रहे हैं रायसेन के किला की। एतिहासिक मान्यताओं की मानें तो रायसेन का किला इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है।
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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
11 वीं शताब्दी के आस-पास बने इस किले पर कुल 14 बार विभिन्न राजाओं, शासकों ने हमले किए। तोपों और गोलों की मार झेलने के बाद आज भी यह किला सीना तानकर खड़ा है।
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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
बता दें भोपाल से 45 कि.मी. दूर जिला मुख्यालय रायसेन में 1500 से अधिक ऊंची पहाड़ी पर लगभग 10 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ ये किला स्थित है। इतिहासकारों के अनुसार रायसेन के इस किले का निर्माण एक हजार ईपु का बताया जाता है।
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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
रायसेन के किला की चार दीवारी में वो हर साधन और भवन हैं, जो अमूमन भारत के अन्य किलों में भी हैं। लेकिन यहां कुछ खास भी है, जो अन्य किलों पर नज़र नहीं आता।
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किला पहाड़ी पर तत्कालीन समय का वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम और इत्र दान महल का ईको साउंड सिस्टम इसे अन्य किलों से तकनीकी मामलों में अलग करता है।
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इतिहास की अनूठी दास्तान को दर्शाता है भोपाल का ये किला
लगभग दस वर्ग कि.मी. में फैले इस किले की पहाड़ी पर गिरने वाला बारिश का पानी भूमिगत नालियों के जरिए किला परिसर में बने एक कुंड में एकत्र होता है।