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इस घाट का इतिहास कर देगा आपको हैरान
इन्ही में से एक है काशी के 84 घाटों में सबसे चर्चित मणिकर्णिका घाट। बताया जाता है ये वही घाट है जहां 365 दिनों तक आग जलती रहती है। कहते हैं यहां पर दाह संस्कार करवाने से व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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इस घाट का इतिहास कर देगा आपको हैरान
यहां पर रोजाना 200 से 300 शवों का अंतिम संस्कार होता है।आपको बता दें कि यहां पर शिवजी और मां दुर्गा का प्रसिद्ध मंदिर भी है, जिसका निर्माण मगध के राजा ने करवाया था।
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हिंदुओं के लिए इस घाट को अंतिम संस्कार के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। बताया जाता है कि मणिकर्णिका घाट को भगवान शिव ने अनंत शांति का वरदान दिया है।
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इस घाट की विशेषता है कि यहां चिता की आग कभी शांत नहीं होती है, यानी यहां हर समय किसी ना किसी का शवदाह हो रहा होता है। इस घाट को लेकर कई जनश्रुतियां हैं।
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एक कथा के अनुसार यहां पर भगवान विष्णु ने हजारों वर्ष तक इसी घाट पर भगवान शिव की आराधना की थी। विष्णु जी ने शिवजी से वरदान मांगा कि सृष्टि के विनाश के समय भी काशी को नष्ट न किया जाए।
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भगवान शिव और माता पार्वती विष्णु जी की प्रार्थना से प्रसन्न होकर यहां आए थे। तभी से मान्यता है कि यहां मोक्ष की प्राप्ति होती है। तो वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने शिव-पार्वती के लिए यहां स्नान कुंड का निर्माण किया था।
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स्नान के दौरान माता पार्वती का कर्ण फूल कुंड में गिर गया, जिसे महादेव ने ढूंढ कर निकाला। देवी पार्वती के कर्णफूल के नाम पर इस घाट का नाम मणिकर्णिका हुआ।