इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन
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    इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन

    देवी काली का ये अद्भुत मंदिर डलहौजी के डैनकुंड की सुंदर पहाड़ियों में बसा हुआ है। जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें
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    इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन

    देवी काली के हिमाचल प्रदेश के ज़िला चंबा के डलहौजी से 12 कि.मी की दूरी पर खूबसूरत वादियों में बसे इस मंदिर को पोहलानी नाम से जाना जाता है।
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    इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन

    कहा जाता है कि इस मंदिर के साथ यहां के लोगों की असीम आस्था जुड़ी हुई है। यहां देवी मां जिस रूप विराजमान हैं, उस पोहलानी देवी कहा जाता है।
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    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पोहलानी देवी तो पहलवानों की देवी कहा जाता है। वैसे तो यहां भक्तों का तांता लगा ही रहता है लेकिन नवरात्रि के दौरान यहां अधिक संख्या में श्रद्धालुओं देखने के मिलते हैं।
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    मान्यता है कि यहां आने वाले हर भक्त की मन्नत पूरी ज़रूर होती है। मन्नत पूरी होने पर भक्त देवी को धन्यवाद देने भी आते हैं।
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    इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन

    पौराणिक कथा के अनुसार हजारों वर्ष पहले इस डैनकुण्ड की पहाड़ी के उस मार्ग से कोई भी नहीं आता जाता था, क्योंकि इस पहाडीं पर राक्षसों का वास होता था।
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    तब माता काली ने पहलवान के रूप में आकर उन राक्षसों का संहार किया तब से इस मंदिर का नाम पोहलवानी पड़ा।
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    इस मंदिर में अमावस्या के दिन आती है डायन

    कहते हैं डेनकुण्ड नामक ये जगह पर डायनों का निवास स्थान था। आज भी यहां ये कुंड देखे जा सकते हैं। लोगों का कहना है कि डैन अमावस्या पर यहां आज भी डायनें आती हैं।