इस स्थान पर समाप्त हुई थी श्रीराम की ‘वनवास यात्रा’
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    इस स्थान पर समाप्त हुई थी श्रीराम की ‘वनवास यात्रा’

    भरत कुंड, नन्दीग्राम: नन्दीग्राम में भरत जी तपस्या करते हुए श्रीराम के वापस अयोध्या आने की प्रतीक्षा कर रहे थे।
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    दशरथ समाधि, बिल्वहरी घाट, फैजाबाद: पिता की इच्छानुसार ही श्रीराम ने 14 वर्ष वन में बिताए थे किन्तु पुत्र बिछोह में चक्रवर्ती सम्राट दशरथ जी ने प्राण त्याग दिए।
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    दशरथ समाधि, बिल्वहरी घाट, फैजाबाद: श्रीराम की अनुपस्थिति में भरत जी ने यहां राजा दशरथ जी का अंतिम संस्कार किया था।
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    जनकौरा, फैजाबाद : दशरथ जी के स्वर्गवास के बाद राजकाज भरत जी के नियंत्रण में आया था। भरत जी को बालक समझ कर राजा जनक उनकी सहायता एवं मार्गदर्शन के लिए कुछ काल तक अयोध्या जी में रहे थे।
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    गुप्त हरि घाट (गुप्तार घाट), अयोध्या जी : श्रीराम लीला का यह अंतिम स्थल है। अखंड बह्मांड के महानायक, जगत के आधार श्रीराम अपनी लीला संपन्न कर अयोध्या जी के सभी चर-अचर जीवों के साथ यहीं सरयू जी में प्रवेश कर अपने परम धाम को पधारे थे।
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    जनकौरा, फैजाबाद : चूंकि पिता का पुत्री की ससुराल में रहना नैतिक नहीं माना जाता इसलिए राजा जनक ने कुछ भूमि अपने लिए खरीद कर करीब ही एक पूरी बस्ती बसाई थी। आज भी इसे जनकौरा कहते हैं।
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    दशरथ समाधि, बिल्वहरी घाट, फैजाबाद: राज्यासीन होने के बाद श्रीराम यहां दर्शनार्थ आए थे।
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    भरत कुंड, नन्दीग्राम: इसी समय श्रीराम ने हनुमान जी को अपने समाचार देकर भरत जी से मिलने भेजा था।
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    भरत कुंड, नन्दीग्राम: इस स्थल पर हनुमान जी व भरत जी की भावुक भेंट हुई थी। नन्दीग्राम में भरत जी ने 14 वर्ष तक रह कर श्रीराम की चरण पादुकाओं का आश्रय लेकर अयोध्या जी का राजकाज देखा था।
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    इस स्थान पर समाप्त हुई थी श्रीराम की ‘वनवास यात्रा’

    भरत कुंड, नन्दीग्राम: अयोध्या जी से लगभग 10 कि.मी. दूर यहीं श्रीराम तथा भरत जी का भावुक मिलन हुआ था।