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कार्तिक मास में तीन बार मनाई जाती है दिवाली, ऐसा होता है वाराणसी का नज़ारा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देव उठनी एकादशी भगवान विष्णु 4 माह की नींद लेने के बाद जागते हैं। तो वहीं कुछ प्रचलित मान्यताएं ये भी हैं कि इसी ही दिन संध्याकाल को भगवान विष्णु अपने मतस्यावतार में प्रकट हुए थे।
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कार्तिक मास में तीन बार मनाई जाती है दिवाली, ऐसा होता है वाराणसी का नज़ारा
कहा जाता है कार्तिक मास की इस पूर्मिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है।
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कार्तिक मास में तीन बार मनाई जाती है दिवाली, ऐसा होता है वाराणसी का नज़ारा
यूं तो कार्तिक के पूरे मास में पवित्र नदी में स्नान करने का प्रचलन और अधिक महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं।
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कार्तिक मास में तीन बार मनाई जाती है दिवाली, ऐसा होता है वाराणसी का नज़ारा
ऐसा कहा जाता है कि कार्तिक मास में इंद्रियों पर संयम रखकर चांद-तारों की मौजूदगी में सूर्योदय से पूर्व ही पुण्य प्राप्ति के लिए नित्य स्नान करना चाहिए।
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परंतु विशेषकर पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। इसलिए अगर संभव हो तो इस दिन किसी पावन नदी में स्नान जरूर करें।
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इस दिन गंगा घाटों पर स्नान करने के साथ-साथ वहां दीप जलाने की भी मान्यता है। धार्मिक किंवदंति है कि इस दिन सभी देवता गंगा घाटों पर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दर्शाते हैं। इसलिए इस दिन दीपदान का महत्व कई गुना बढ़ जाता है।
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इससे जातक को अपने समस्त प्रकार के संकटों से मुक्ति तो मिलती है, साथ ही साथ कर्ज से भी छुटकारा मिलता है।