ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    ग्वालियर के गोपाल मंदिर में प्रतिष्ठत राधा-कृष्ण को हर बार की तरह इस बार भी जन्माष्टमी पर बेशकीमती राजसी जेवरात से सजाया गया है। हालांकि इस बार श्रद्धालुओं को श्रंगारित आराध्य के दर्शन प्रत्यक्ष नहीं हो पाए।
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए श्रद्धालुओं को प्राचीन गोपाल मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया। बेशकीमती जेवरात से श्रंगारित राधा-कृष्ण के दर्शनों के लिए मंदिर के बाहर बड़ी स्कीन लगाई गई है।
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    स्क्रीन पर दिन बुधवार शाम से राधा-कृष्ण के श्रंगारित विग्रह के दर्शन करवाए गए।
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    गोपाल मंदिर की खास बात यह है कि सिंधिया राजवंश ने मंदिर के लिए बेशकीमती हीरे-मोती, पन्ना जैसे जवाहरात से सुसज्जित सोने-चांदी के आभूषण बनवाए थे।
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    आभूषण नगर निगम की संपत्ति हैं, और हर साल जन्माष्टमी के 1 दिन पहले आभूषणों को बैंक-लॉकर निकालकर निगम की ट्रेजरी में रखा जाता है। इन जेवरात से राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है।
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    ग्वालियर के गोपाल कृष्ण मंदिर में पहली बार भक्तों के बिना मनाया गया श्री कृष्ण जन्मोत्सव

    रात 12:00 बजे श्रीकृष्ण के अवतरण का समय व्यतीत होने के बाद आभूषणों को उतार कर वापस निगम की तिज़ोरी में रख दिया जाता है। दूसरे दिन उसे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर में सुरक्षित रख दिया जाता हैं।