जगन्नाथ व कावड़ यात्रा के बाद अब क्या महाकाल सवारी को लेकर सरकार लेगी बड़ा फैसला?
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    जगन्नाथ व कावड़ यात्रा के बाद अब क्या महाकाल सवारी को लेकर सरकार लेगी बड़ा फैसला?

    24 जुलाई को इस वर्ष के आषाढ़ मास का समाप्त होगा जिसके बाद 25 जुलाई से श्रावण मास का आरंभ हो जाएगा। प्रचलित मान्यताओं के अनुसार हर वर्ष श्रावण मास औस भाद्रपद मास के दौरान उज्जैन में बाबाा महाकाल की सवालरी निकाली जाती है।
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    जगन्नाथ व कावड़ यात्रा के बाद अब क्या महाकाल सवारी को लेकर सरकार लेगी बड़ा फैसला?

    लेकिन जैसे कि आप सब जानते हैं इस साल भी कोरोना के चलते लगभग सभी तीर्थ यात्राएं रद्द हो रही है। उसी तरह अब महाकाल की सवारी पर सरकार नजर रखे हुए हैं।
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    जी हां, खबरों के अनुसार उज्जैन में महाकाल बाबा की नगरी में दूर-दूर से कावड़िए यानि कावड़ लाने वाले यात्री बाबा को पावन जल अर्पित करते हैं, लेकिन इस बार कावड़ यात्रा पर प्रतिबंध का साया रहने वाला है।
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    इसका कारण है कोरोना का तीसरी लहर की आशंका। इसके के चलते स्थानीय प्रशासन ने नंदी हाल और गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा रखा है और बताया जा रहा है कि बीते वर्ष यानि  2020 की तरह इस वर्ष भी कावड़ यात्रियों को शहर में प्रवेश नहीं मिलेगा।
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    कोरोना के मद्दनेजर कावड़ यात्रियां और दर्शनाथियों के द्वारा जलाभिषेक किए जाने पर रोक लगा दी गई है।
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    बता दें मान्यताएं प्रचलित हैं कि श्रावण मास में भगवान महाकाल आम दिनों की तुलना में अपने प्रिय भक्तों के लिए 2 घंटे पहले जागते हैं। श्रावण के प्रत्येक रविवार पर रात्रि 2.30 बजे तथा सोमवार से शनिवार तक रात 3 बजे मंदिर के द्वार खुले रहते हैं।
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    भस्मारती के होने के बाद प्रात 5 बजे से भक्तों के दर्शन का सिलसिला शुरू होता है। परंतु इस बार पूरे श्रावण माह में दर्शनाथियों की संख्या सीमित रखी जाएगी और किसी भी प्रकार का समूह या टोली के मंदिर में प्रवेश करने पर प्रतिंबधित लगा रहेगा।
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    जगन्नाथ व कावड़ यात्रा के बाद अब क्या महाकाल सवारी को लेकर सरकार लेगी बड़ा फैसला?

    बताया जा रहा है कि इस बार कुल 7 सवारियां निकाले जाने की बात सामने आ रही है। इसका कारण है 7 वर्ष बाद बनने वाले खास संयोग। पंचांग के अनुसार चूंकि दोनों माह में 7 सोमवार हैं, इसलिए बाबा की सवारी भी 7 सोमवार को निकाली जाएगी।