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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
अयोध्या की प्रचलित मान्यताओं की मानें तो थाईलैंड से भी सवा सौ (125) भिक्षुओं का दल भगवान बुद्ध की तपोस्थली को तलाशता हुआ अयोध्या पहुंचा था। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि अयोध्या में आकर भगवान बुद्ध ने तपस्या की थी।
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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
ऐसा कहा जाता है कि जैन धर्म के 16 तीर्थंकरों में से 5 जैन तीर्थंकर यहां जन्मे थे। यहां इनके मंदिर भी हैं। जैन धर्म के प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव अयोध्या राजपरिवार के थे।
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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
अयोध्या में सिख धर्म से जुड़ी कई मान्यताएं हैं, जिनमें से एक के अनुसार यहां प्रथम, नवम व दशम सिख गुरु समय-समय पर अयोध्या आए और नगरी के प्रति आस्था निवेदित की।
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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो श्री राम की नगरी अयोध्या का जुड़ाव कई धर्मों से रहा है।
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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
बताया जाता है सनातन संस्कृति के अलावा यहां जैन, बौद्ध, सिख और सूफी परंपराएं तक की जड़ें व्याप्त हैं। इतिहास के पन्नों में दृष्टि डाली जाए तो अयोध्या हमेशा से कला, पुराण, जैन, गीत-संगीत सभी का केंद्र रहा है।
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जैन धर्म से लेकर बौद्ध धर्म तक से जुड़ा है अयोध्या का इतिहास
इस्लामिक परंपराओं की मानें तो अयोध्या को मदीनतुल अजोधिया के रूप में भी संबोधित किया जाता है। यहां शीश पैगंबर की मजार, स्वर्गद्वार स्थित सैय्यद इब्राहिम शाह की मजार, शास्त्री नगर स्थित नौगजी पीर की मजार इसकी संस्कृति का अहम हिस्सा है
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बता दें 5 अगस्त तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 12 बजकर 15 मिनट और 15 सेकेंड पर राम मंदिर की नींव रखी जाएगी और भूमि पूजन संपन्न किया जाएगा।