त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!
  • >X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    नाशिक के पास गोदावरी तट पर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक से त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है, जहां पर नागपंचमी और अन्य विशेष दिनों में कालसर्प दोष की पूजा होती है।
  • <>X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    कहा जाता है कि इस पूजा के लिए यह स्थान सबसे प्रमुख है। कहा जाता है कि ये एकमात्र स्थान है जहां प्रतिवर्ष लाखों लोग कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए आते हैं।
  • <>X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    कहते हैं कि यहां के शिवलिंग के दर्शन करने से ही कालसर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कालसर्प के अलावा यहां त्रिपिंडी विधि और नारायण नागबलि की पूजा संपन्न होती है।
  • <>X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    मान्यता है कि इस मंदिर में 3 शिवलिंगों की पूजा की जाती है जिनको ब्रह्मा, विष्णु और शिव के नाम से जाना जाता है। मंदिर के पास 3 पर्वत स्थित हैं, इन्हें ब्रह्मगिरी, नीलगिरी और गंगा द्वार के नाम से जाना जाता है।
  • <>X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    लोक मत है कि यहां ब्रह्मगिरी पर्वत भगवान शिव का स्वरूप है, नीलगिरी पर्वत पर नीलाम्बिका देवी और दत्तात्रेय भगवान का मंदिर है और गंगा द्वार पर्वत पर देवी गोदावरी मंदिर स्थित है।
  • <>X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    यहां कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विधिवत रूप से संपूर्ण पूजा की जाती है, जिसमें कम से कम 3 घंटे लगते हैं।
  • <X

    त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष पूजा का है अधिक महत्व!

    कहा जाता है अन्य स्थानों की अपेक्षा में ये स्थान सबसे खास है क्योंकि यहां पर शिव जी का महा मृत्युंजय रूप विद्यमान है।