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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
प्रत्येक वर्ष ये त्यौहार लोहड़ी के एक दिन बाद यानि 14 जनवर को मनाया जाता है।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
तो वहीं दक्षण भारत में मकर संक्रांति का पर्व पोंगल के रूप में मनाया जाता है।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन यहां लोग ग्रहों के राजा सूर्यदेव तथा स्वर्ग के राजा इंद्र देव की विधि वत पूजा करते हैं।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
बताया जाता है मकर संक्रांति से शुरू होकर ये पर्व पूरे चार दिन तक चलता है।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
इन चार दिनों के अलग-अलग नामों से जाना जाता है।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
जिसमें से पहले दिन को भोगी पोंगल, दूसरे दिन को सूर्य पोंगल, तीसरे दिन को मट्टू पोंगल तथा चौथे यानि आखिरी दिन को 'कन्नम पोंगल' के नाम से जाना जाता है।
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दक्षिण भारत में ऐसा मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व
तमिल सौर कैलेंडर के अनुसार यह पर्व ताई मास की शुरुआत में मनाया जाता है, जिस कारण तमिल के लोग इसे न्यू ईयर के रूप में भी मनाते हैं।