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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
महाराष्ट्र के पंढरपुर में स्थित इस मंदिर में विराजित भगवान श्रीकृष्ण को विठोबा कहा जाता है, जिस कारण मंदिर का एक नाम विठोबा मंदिर भी है।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
इस धार्मिक परिसर को भगवान विठ्ठल-रुक्मिणी मंदिर के रूप में जाना जाता है। जहां भगवान विठोबा व उनकी पत्नी रखुमई लोगों की आस्था का मुख्य केंद्र है।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
महाराष्ट्र का यह सबसे लोकप्रिय मंदिर पश्चिमी भारत के दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य में भीमा नदी के तट पर शोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
प्रचलित मान्यताओं के अनुसार इस पावन नदी चंद्रभागा में स्नान करने से जातक को अपने पापों से मुक्ति मिलता है।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
लोक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर की स्थापना 11 वीं शताब्दी में की गई थी, हालांकि मुख्य 12 वीं शताब्दी में देवगिरि के यादव शासकों द्वारा कराया गया था।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
धार्मिक प्रचलित किंवदंतियों के अनुसार भगवान विष्णु के अवतार विठोबा और उनकी पत्नी रुक्मणि को समर्पित इस शहर में 1 वर्ष में कुल 4 त्यौहार मनाए जाते हैं, जिसे मनाने के लिए लोग दूर दूर से यहां आकर एकत्र होते हैं।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
इनमें सबसे ज्यादा श्रद्धालु आषाढ़ के महीने में फिर क्रमश: कार्तिक, माघ और श्रावण महीने में एकत्रित होते हैं।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
ऐसी मान्यताएं है कि ये यात्राएं लगभग पिछले 800 सालों से लगातार आयोजित की जाती आ रही हैं।
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पंढरपुर मेला: कार्तिक मास में लगता है भगवान विट्ठल का मेला, जानिए कैसे यहां हुए थे प्रकट
देश के कोने-कोने से पताका-डिंडी लेकर इस तीर्थस्थल पर लोग पैदल चलकर पहुंचते हैं। इस यात्रा क्रम में कुछ लोग अलंडि में जमा होते हैं, कुछ पुणे तथा बहुत से लोग जजूरी होते हुए पंढरपुर पहुंचते हैं।