पवित्र कुंड: जहां सीता मां का कंगन गिरा
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    पवित्र कुंड: जहां सीता मां का कंगन गिरा

    श्री राम की वनवास यात्रा से पहले श्री राम तथा माता सीता से जुड़े अनेक पवित्र स्थलों के बारे में जानना भी जरूरी है। इस बार जिन स्थलों के बारे में बता रहे हैं उनमें वह कुंड भी शामिल है जहां सीता मां का कंगन गिरा था।
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    पवित्र कुंड: जहां सीता मां का कंगन गिरा

    इसके अलावा श्री राम-सीता माता के विवाह की वेदी के लिए जहां से मिट्टी लाई गई, उनकी बारात के विश्राम स्थल से लेकर श्रीराम-जानकी मार्ग आदि शामिल हैं।
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    पवित्र कुंड: जहां सीता मां का कंगन गिरा

    सीता कुंड, पूर्वी चम्पारन (बिहार) यह स्थान पूर्वी चम्पारन में मोतिहारी से लगभग 20 कि.मी. पूर्व दक्षिण कोण में है। माना जाता है कि श्री राम की बारात ने यहां रात्रि विश्राम किया था। यहां कुंड में सीता मां का कंगन गिर गया था। इस कुंड में पानी नीचे से ही आता है तथा कभी सूखता नहीं।
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    पवित्र कुंड: जहां सीता मां का कंगन गिरा

    श्री राम जानकी मार्ग, अयोध्या जी, फैजाबाद (उ.प्र.) प्राचीन परम्परा के अनुसार अयोध्या जी से पूर्व दिशा में एक कच्चे मार्ग को राम जानकी मार्ग कहा जाता है। लोकमान्यता  है कि बारात के साथ श्री सीता-राम जी का रथ इसी मार्ग से आया था।
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    डेरवा, सरयू जी, गोरखपुर (उ.प्र.) श्री राम की बारात का तीसरा विश्राम स्थल श्री राम जानकी मार्ग पर डेरवा गांव है। चूंकि बारात ने यहां डेरा डाला था इसीलिए गांव का नाम आज भी डेरवा है। (ग्रंथ उल्लेख : वा.रा.1/69/7 मानस 1/303/3, 1/342/4 से 1/343/4 तक)
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    वेदीवन, सीताकुंड, पूर्वी  चम्पारन (बिहार) मिथिला में लोक परम्परा के अनुसार विवाह के चौथे दिन वेदी बना कर पुन: विवाह की परम्परा है। आज भी इसे चौथाड़ी कहा जाता है। चौथाड़ी के बाद ही विवाह संस्कार पूर्ण माना जाता है।
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    श्री राम जन्मभूमि (सरयू जी) अयोध्या, फैजाबाद (उ.प्र.) अयोध्या जी श्री राम की जन्म भूमि है। श्री राम ने यहीं से वन की यात्रा आरंभ की थी।