बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    सनातन धर्म के एक नहीं बल्कि कईं पुराण, ग्रंथ आदि हैं, जिनमें हमारे देश में स्थित प्राचीन स्थलों आदि का वर्णन मिलता है। उन्हीं नें से है वायु पुराण, जिसमें राजगीर नामक स्थल के बारे में उल्लेख किया गया है।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    इसमें वर्णित कथा के अनुसार भगवान ब्रह्मा के पौत्र राजा बसु ने मलमास महीने के दौरान राजगीर में ‘वाजपेयी यज्ञ’ करवाया था। जिसमें आने के लिए उन्होंने 33 कोटि देवी देवता करोड़ देवी-देवताओं को आने का न्योता दिया।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    इस दौरान केवल काग महाराज को छोड़कर उनके वहां सभी देवी- देवता पधारे। कथाओं के अनुसार देवी-देवताओं को एक ही कुंड में स्नान करने में परेशानी होने लगी तथा पवित्र नदियों और तीर्थों के जल की ज़रूरत पड़ी।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    जिसके बाद ब्रह्मा जी ने राजगीर में 22 अग्निकुंडों के साथ 52 जल धाराओं का निर्माण करवाया।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    बताया जाता है बह्मा जी ने जिन 22 कुंडों का निर्माण कराया वे हैं- ब्रह्मकुंड, सप्तधारा, व्यास, अनंत, मार्केण्डेय, गंगा-यमुना, काशी, सूर्य, चन्द्रमा, सीता, राम-लक्ष्मण, गणेश, अहिल्या, नानक, मखदुम, सरस्वती, अग्निधारा, गोदावरी, वैतरणी, दुखहरनी, भरत और शालीग्राम कुंड।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    आगे बताते चलें इनमें से ब्रह्मकुंड का तापमान 45 डिग्री सेल्सियस रहता है, यानि यह एक गर्म पानी का कुंड है। कहा जाता है कि इस कुंड में आने वाला पानी सप्तकर्णी गुफाओं से आता है।
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    बिहार के राजगीर में स्थित 22 अग्निकुंडों व 52 जल धाराओं की क्या है गाथा?

    यहां वैभारगिरी पर्वत पर भेलवाडोव तालाब है, इससे ही जल पर्वत से होते हुए यहां पहुंचता है। इस पर्वत में कई तरह के केमिकल्स जैसे सोडियम, गंधक, सल्फर हैं। जिस कारण यहां पानी हमेशा गर्म रहता है।