भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    श्राद्ध देवता किसी और को नहीं बल्कि यमराज देवता को माना गया है। बताया जाता है कि श्राद्ध देवता एक मंदिर कुरुक्षेत्र के समीप पिहोवा में स्थित है जिसे पृथुदक तीर्थ के नाम से जाना जाता है।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    इस धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार महाभारत काल के दौरान पांडवों ने इसी स्थान पर अपने कुछ सगे संबंधियों का श्राद्ध था पिंड दान आदि किया था।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    तो वहीं यह भी बताया जाता है कि इसी स्थान पर सरस्वती तट पर एक मंदिर है जिसमें श्राद्ध देवता अर्थात यमराज जी की भव्य मूर्ति स्थापित है।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    श्रीमद्भागवत महापुराण के दशम स्कंध में महात्मा विदुर की जाने वाली तीर्थ यात्रा में इस बात का वर्णन मिलता है।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    धार्मिक व पौराणिक मान्यताओं के अनुसार गया में सबसे पहले इन्हीं की ही पूजा की जाती है। यहां पर यानी पिहोवा तीर्थ में पिंडदान और श्राद्ध का अधिक महत्व है।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    कहा जाता है कि अगर कोई पिहोवा में पिंडदान और श्राद्ध न करें और सीधे गया चला जाए तो वहां भी उसे पहले पृथुदक की पूजा-अर्चना संपन्न करनी पड़ती है।
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    भागवत पुराण में किए वर्णन से जानें कौन हैं श्राद्धदेव?

    इसके बाद ही उसके द्वारा किया गया श्राद्ध और पिंडदान व स्वीकृत होता है।