भारत-चीन सीमा का अंतिम गांव छितकुल, सुंदर नजारों और अनोखे आध्यात्मिक रहस्यों से भरा है
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    भारत-चीन सीमा का अंतिम गांव छितकुल, सुंदर नजारों और अनोखे आध्यात्मिक रहस्यों से भरा है

    बर्फ से लदी पर्वत चोटियों से सटे हरे-भरे घास के मैदानों के बीच से निकलती छोटी-छोटी नदियां, जिनकी सतह पर मौजूद सफेद पत्थरों पर जब सूरज की किरणें पड़ती हैं, तो अविरल धारा पर उभरते सफेद मोती जैसे प्रतिबिंब को देख ऐसा लगता है
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    कि कहीं यह किसी चित्रकार की कल्पना तो नहीं। भारत-तिब्बत सीमा पर बसा छितकुल गांव ऐसी ही एक जगह है। इसे भारत का अंतिम गांव भी कहा जाता है।
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    भारत-चीन सीमा का अंतिम गांव छितकुल, सुंदर नजारों और अनोखे आध्यात्मिक रहस्यों से भरा है

    यह समुद्र तल से करीब 3450 मीटर की ऊंचाई पर हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित बास्पा घाटी का अंतिम और ऊंचा गांव है। इस गांव को किन्नौर जिले का क्राऊन भी कहा जाता है। गांव में तीन प्राचीन मंदिर निर्मित थे जो पहाड़ी परम्परागत वास्तु शिल्प के अद्भुत उदाहरण माने जाते थे।
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    एक देवी माथी का, दूसरा शिव मंदिर और तीसरा प्राचीन बौद्ध मंदिर। अति प्राचीन होने के कारण इन मंदिरों को नया रूप दे दिया गया है और अब माथी देवी का परिसर नए रूप में अति आकर्षक और उत्कृष्ट पहाड़ी शैली में बनाया गया है। मंदिरों को प्राचीन स्वरूप देने का प्रयास किया गया है।
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    छितकुल माथी यानी छितकुल गांव की माता वहां की ग्राम देवी है, जिसे रानी रणसंगा भी कहा जाता है। देवी के यहां आने की अत्यंत रोचक कथा बताई जाती है। पुराने लोगों के साथ देवी का प्रवक्ता भी देव-छाया में कथा दोहराया करता है। देवी ने हिमालय की यात्रा वृंदावन से आरंभ की थी।
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