भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    भगवान भोलेनाथ के मंदिर तो आपने बहुत से देखे होंगे जहां आपने इनकी पूजा अर्चना भी की होगी परंतु आज हम आपको इनके ऐसे मंदिर के बारे बताने जा रहे हैं जहां पिछले 50 सालों से इनकी पूजा नहीं हुई है
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    जी हां, सुनने में आपको चौकाने वाली ये बात सच है। तो चलिए अधिक देर न करते हुए जानते हैं कहां ये अद्भुत शिवलिंग जिसकी पूजा-अर्चना नहीं की गई।
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    दरअसल सतना जिले के उचेहरा तहसील के अकही गांव में एक तालाब के किनारे स्थित 300 साल भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर खौफ़ का कारण बना हुआ है।
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    जिसका कारण है लोगों के मन में मंदिर के प्रति आस्था के बजाए पैदा अंधविश्वास। यही कारण है गांव के बीच तालाब के समीप भगवान भोलेनाथ इस मंदिर में सन्नाटा पसरा रहता है।
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    यहां की लोक मान्यता के अनुसार इस मंदिर में जो भी पूजा करने आता है वह बीमार हो जाता है या फिर उनके साथ कोई ऐसी अनहोनी हो जाती है जिसके बाद वो दोबारा यहां पूजा करने लायक ही नहीं रहता।
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    ग्रामीणों की मानें तो 50 साल पहले इस मंदिर में पूजा करवाने वाले पुजारी की रहस्यमय ढंग से मौत हो गई थी। इस घटना के बाद जो भी गांव वाला यहां पूजा करने आया उसके साथ कुछ न कुछ अनहोनी हो गई।
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    भोलेनाथ का ये मंदिर आस्था का नहीं खौफ का है प्रतीक, जानते हैं आप!

    धीरे-धीरे पूरे गांव में यह बात फैल गई कि जो भी भगवान भोलेनाथ के इस मंदिर में पूजा करने जाएगा उसकी जिंदगी खत्म हो जाएगी। तो बस फिर क्या था अपनी जान के खातिर लोग इस मंदिर में पूजा करना तो दूर कोई इसके आसपास से भटकना पसंद नहीं करता।