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मंदिर ही नहीं इस दरगाह पर भी मनाया जाता है कान्हा के जन्म का जश्न
बता दें राजस्थान में स्थित बाबा हाजीब शकरबार शाह की दरगाह अनेकता में एकता की अद्भुत मिसाल देखने को मिलती है। बताया जाता है यहां जितनी शिद्दत से उर्स मनाते हैं उतनी ही आस्था से जन्माष्टमी का पर्व भी मनाया जाता है।
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मंदिर ही नहीं इस दरगाह पर भी मनाया जाता है कान्हा के जन्म का जश्न
हम जानते हैं आप में से बहुत से ऐसे लोग होंगे जिन्हें इस बात पर यकीन नहीं होगा हो मगर ये सच है। यहां दरगार पर श्रीकृष्ण के जन्म को सभी धर्मों के लोग एक साथ मनाते हैं।
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मंदिर ही नहीं इस दरगाह पर भी मनाया जाता है कान्हा के जन्म का जश्न
बताया जाता है श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर बाबा हाजीब शकरबार शाह की दरगाह पर तीन दिनों के मेले का आयोजन किया जाता है।
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मंदिर ही नहीं इस दरगाह पर भी मनाया जाता है कान्हा के जन्म का जश्न
हालांकि यह परंपरा कब से शुरू हुई है इस बात का तो कोई साक्ष्य नहीं है, परंतु एक अरसे से इसे निभाया जा रहा है। तीन दिन के इस मेले में दूर-दूर से दर्शनार्थी और आते हैं और कृष्ण जन्म की खुशियां मनाते हैं।
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मेले में पूरी रात्रि भगवान कृष्ण के लिए सूफी गीत गाए जाते हैं। इसमें उनके स्वरूप और प्रेम का वर्णन किया जाता है।
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इसके साथ ही नृत्य-नाटिका के माध्यम से कन्हैया के जीवन से जुड़ी घटनाओं को दर्शाया जाता है।