मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत
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    मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

    सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते हैं। शनि की टेढ़ी चाल से किसे डर नहीं लगता, उनके क्रोध से देवता भी थर-थर कांपते हैं, कहते हैं शनि की कृपा राजा को रंक और रंक को राजा बना सकती है।
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    मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

    ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए दान, पूजन, व्रत, मंत्र आदि उपाय किए जा सकते हैं। आज भारत के कोने-कोने में शनि मंदिर हैं पर कुछ शनि मंदिर अत्यन्त प्रभावशाली हैं, वहां की गई पूजा-अर्चना का शुभ फल प्राप्त होता है।
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    ऐसा ही एक मंदिर है शनिश्चरा मंदिर जो मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर से बस और टैक्सी के माध्यम से शनिश्चरा मंदिर में दर्शनों के लिए जाया जा सकता है। देश के बहुत से शहरों से ग्वालियर के लिए सीधी हवाई सेवा भी उपलब्ध है।
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    मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

    शनिवार और शनि अमावस्या के दिन यहां काफी भीड़ होती है और यातायात का भी विशेष प्रबंध होता है।
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    मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

    माना जाता है कि यहां स्थापित शनि पिण्ड हनुमान जी ने लंका से फेंका था, जो यहां आकर स्थापित हो गया। यहां पर अद्भुत परंपरा के चलते शनि देव को तेल अर्पित करने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा है।
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    मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

    यहां आने वाले भक्त बड़े प्रेम और उत्साह से शनि देव से गले मिलते हैं और अपने सभी दुख-दर्द उनसे सांझा करते हैं।