मुक्तेश्वर धाम को झील में डूबने से बचाने के लिए सरकार व बांध प्रशासन ने अभी तक तैयार नहीं की प्रपोजल
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    मुक्तेश्वर धाम को झील में डूबने से बचाने के लिए सरकार व बांध प्रशासन ने अभी तक तैयार नहीं की प्रपोजल

    बताया कि देश व क्षेत्र के लिए जितना जरूरी शाहपुरकंडी बांध के निर्माण का होना है, उतना ही जरूरी पावन मुक्तेश्वर धाम को बचाना भी है, क्योंकि इस धाम से पूरे देश नहीं, बल्कि विदेशों के श्रद्घालुओं की आस्था जुड़ी हुई है।
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    मंदिर के पुजारी पंडित सूरज तिवारी ने बताया कि पंजाब के जिला पठानकोट तहसील धारकलां के रावी दरिया के तट पर गांव डूंग में स्थित मुक्तेश्वर महादेव शिव मंदिर जिसका इतिहास लगभग 5500 वर्ष पुराना है।
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    पांडव अपने अज्ञातवास दौरान यहां पहुंचे थे। उनके द्वारा यहां पहाड़ काटकर जहां गुफाओं का निर्माण किया गया, वहीं उनके द्वारा स्थापित किया शिवलिंग व धूना आज भी उसी जगह पर है।
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    इस शिव मंदिर मुक्तेश्वर महादेव पांडव गुफाओं को हिंदू धर्म में मिन्नी हरिद्वार की महानता मिली है।
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    यहां लोगों की धार्मिक आस्था है कि यहां अस्थियां प्रवाहित करने व स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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    यहां लगने वाले मेलों दौरान हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, पंजाब के अतिरिक्त विदेशों से भी श्रद्धालु जहां नतमस्तक होने के लिए प्रत्येक वर्ष आते हैं।